आज हम आपको अपने इस लेख में होयसलेश्वर मंदिर Hoysaleswara Temple in Halebidu के बारे में जानकारी देंगे.यह प्राचीन हिन्दू मंदिर दुनिया के सबसे आश्चर्य जनक मंदिरों में से एक हैं यह मंदिर हजारों साल पुराना हो जाने के बाद भी अपनी अद्भुत कलाकारी महानतम वास्तुशैली ,शानदार नक्काशी , शिल्पकला, चमक औऱ डिजाइन के लिए प्रसिद्ध हैं. यह मंदिर इतने प्राचीन होने के बावजूद भी नही तो किसी प्रकार की कोई क्षति हुई न इस मंदिर के चमक कम हुई. ऐसा कहा जाता हैं कि यह मंदिर हाथों से निर्मित नही बल्कि मशीनों से हुई हैं. तो आइए जानते है कर्नाटक के इस Belur halebidu Temples मंदिर के विषय में-
होयसलेश्वर मंदिर का पूरी जानकारी Hoysaleshwara Temple information in hindi
होयसलेश्वर मंदिर कर्नाटक के हासन जिले के हलेबिड नामक स्थान पर है. हलेबिड ( halebidu) जिसका प्राचीन नाम द्वार- समुद्र था . हलेबिड 11वी सदी में प्रसिद्ध राजा विष्णुवर्धन के होयसल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. ऐसा कहा जाता है. कि होयसल साम्राज्य के राजाओ ने अपने शाषन काल में करीब 2000 मंदिरों की निर्माण करवाया गया. इन सभी हिन्दू मंदिरों में अधिकांश मन्दिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित हैं. होयसलेश्वर मंदिर भी उनमें से एक है जिसका निर्माण सन् 1121 में हुआ था.
होयसलेश्वर मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित मन्दिर हैं. इस मन्दिर का निर्माण होयसल सम्राज्य के राजा विष्णुवर्धन के एक अधिकारी केटामल्ला को ही इसका मुख्य भूमिका श्रेय जाता हैं.परन्तु मंदिर के लिए जरूरी संसाधनों की व्यवस्था वँ उसकी पूर्ति राजा विष्णुवर्धन ने ही कराई थी, ऐसा कहा जाता है कि केतुमल्ला सेट्टी ने यह मंदिर राजा विष्णुवर्धन एवं उनकी प्रिय रानी शांतला देवी के सम्मान में बनवाया था. यह मंदिर भगवान शिव भोलेनाथ के दो रूपों को समर्पित है. होयसलेश्वर तथा शांतलेश्वर।
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होयसलेश्वर मंदिर की निर्माण हजारों साल पहले मशीनों से की गई थी Hoysaleshwara Mandir kis chij se hua tha
होयसलेश्वर मंदिर के बारे में दुनियाभर के वैज्ञनिकों का कहना है कि यह मंदिर हाथ से निर्मित नही है. क्योंकि मन्दिर के नक्काशी वं कलाकारी तथा मन्दिर के दीवालों पर जिस तरह से मूर्तियों को उकेरा गया है वँ स्तंभों की गोलाई को जिस ढंग से बनाया गया है, वह किसी भी मनुष्य के हाथों से बनाया जाना थोड़ा मुश्किल लगता है, प्रतीत होता है.जिसे देख लगता है नही यह हाथ निर्मित मन्दिर हो सकता है और यही कारण है कि दुनिया के सभी लोग इस मंदिर के विषय में कहते हैं कि यह मन्दिर मशीनों से बनाई होगी, जबकि उस जमाने में किसी भी प्रकार के मशीन के बारे में कहि भी उल्लेख नहीं मिलता हैं. इस Hoysaleshwara Temple plan की संरचना में शैलखटी( क्लोराइट शिस्ट ) का प्रयोग किया गया हैं.
मन्दिर की प्रमुख विशेषता इसका निर्माण कार्य किस शैली में हुआ है Hoysaleswara Temple architecture in Halebidu
होयसलेश्वर मंदिर की निर्माण ‘बेसर शैली’ से किया गया है. मन्दिर के भीतरी भाग में पत्थर के बेहद खूब- सूरत गोलाकार स्तंभ स्थित हैं ,जिसके बारे में कहा जाता है कि यह साउंड सिस्टम से रिलेटिव स्तम्भ हैं यह मन्दिर तारे के आकार का है जिसमें प्रवेश के लिए चार सीढ़ियों का निर्माण किया गया है.पूरब दिशा की ओर से दो सीढियां तथा उत्तर एवं दक्षिण दिशा में एक एक सीढियां हैं. इनमें पूरब दिशा की ओर की एक सीढ़ियों को होयसलेश्वर वँ दुसरे को शांतलेश्वर के नाम से जाना जाता हैं.
इस द्वारों पर रक्षा करता द्वारपालों की प्रतिमाएं भी विराजमान है. हलेबिड (halebidu Temple) में किसी दूसरे मन्दिर के तरह इसमें भी एक ऊंचे जगती बनाया गया है. जो 15 फिट चौड़ा हैं. इस मंदिर का भीतरी भाग चौड़ा एवं प्रशस्त है. मंदिर की भीतरी भित्तियाँ देवी- देवताओं के अनेक लघु मंदिर हैं किन्तु उनमें से अधिकांश मंदिर भंगित हैं.
Hoysala Temple का निर्मान एक 12 नक्काशीदार परतें पर बना है, इन परतों को आपस में जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार के चुना सीमेंट तथा किसी अन्य धातुओं का उपयोग नही किया गया हैं, इसे आपस में इंटरलॉकिंग तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है. मंदिर की दीवार पर अति खूबसुंदर नक्काशी की गई है. तथा देवी देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है। इन मूर्तियों को बनाने में सॉफ्ट पत्थर का उपयोग किया गया है जो समय के साथ कठोर हो जाता है.
होयसलेश्वर मंदिर जुड़वां मन्दिर हैं Hoysaleshwara mandir me bhagwan shiv ki pratima
मंदिर में बनी हुई देवी की प्रतिमा
होयसलेश्वर मंदिर एक जुड़वा मंदिर हैं जिसके भीतरी- भाग में स्थित गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित हैं और नन्दी की प्रतिमा हवल में स्थापित है औऱ दूसरा भाग भी यही है तथा उसके सामने भी नन्दी की प्रतिमा हैं जो हॉल में है. इस मंदिर के मुख्य मंदिर होयसलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है तो वही दूसरा मंदिर शांतलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इस मंदिर परिसर से जुड़ा हुआ एक और मन्दिर हैं जिसे सूर्य तीर्थ कहते है।वैसे इस मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे मंदिर भी थे जिसे मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा तोड़ दिया गया है औऱ अब मौजूद नहीं हैं.
होयसलेश्वर मंदिर में भगवान भोलेनाथ की एक प्रतिमा स्थापित है, इस शिव प्रतिमा के मुकुट पर मानव की खोपड़ियाँ बनी हैं, जो 1 इंच चौड़ी हैं। इन छोटी-छोटी खोपड़ियों को इस तरह से खोखला किया गया है कि उससे गुजरने वाली रोशनी आँखों के सुराख से होती हुई मुँह में जाकर कानों से बाहर लौट आती हैं।
मंदिर की अद्भुत उत्कीर्णित चित्र वल्लरी
होयसलेश्वर मंदिर की सभी दीवालों पर अद्भुत चित्रकारी की गई है, जिसे देख आप तो हैरान हो सकते हैं यह आखिर कैसे सम्भ हुआ होगा,इस मंदिर के चारो तरफ अलग अलग भित्तियों पर करीब 1248 हाथियों का चित्र उलंकृत किया गया है,इसके अलावा इस मंदिर के दीवालों पर सिंह,अश्व,हंस, मकर राशि, पुष्पों का बेल,जिसपे महाकाव्यों का चित्र प्रदर्शित है तथा संगीतज्ञ, पौराणिक पात्र आदि नैतिक ,समाजिक, देवी-देवताओं के विशाल शिल्प कला को अलंकृत किया गया है जो बेहद ही ख़ूबसुन्दर हैं।
होयसलेश्वर मंदिर की 35,000 मूर्तियाँ
ऐसा कहा जाता है कि होयसलेश्वर मंदिर में करीब 35000 हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को अलंकृत किया गया है, जिसकी शिल्पकला अन्य मंदिरों के अपेक्षा अधिक गुणवत्ता, विशाल,भव्य ,सुंदर तथा अकल्पनीय हैं इनमें कुछ इस तरह से है निचे–
भगवान शिव की प्रतिमाएं- नंदी पर सवार शिव और माता पार्वती की मूर्तियां उत्कृष्ट की गई हैं,जो फिलग्री कला शैली में उत्कृष्ट है.जिसके मध्य में नटराज मुद्रा में भगवान शिव हैं जो नंदी एवं एक संगीतज्ञ के साथ हैं इस द्वार के दोनों तरफ 6 फिट के विशालकाय द्वारपाल हैं जिन पर उत्तम आभूषण गढ़े गए हैं। यह प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो जाने के बावजूद भी अत्यंत ही अति प्रिय हैं।
भगवान शिव औऱ माता पार्वती की मूर्ति
Karnataka, India is dedicated to Lord Shiva ईसके अलावा यहां समुद्र मंथन,कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास करता हुआ रावण,लंका युद्ध के समय भगवान श्री राम की बानर सेना द्वारा समुद्र में रामसेतु निर्माण करती हुई विचित्र मूर्तिया,गजेन्द्र मोक्ष,तथा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मोउत्सव, पूतना वध , गोवर्धन पर्वत उठाए हुए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमाएं और महाभारत काल के कुरुक्षेत्र मैदान में अर्जुन व कर्ण के मध्य युद्ध का दृश्य को उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है।
मन्दिर पर आक्रमण किसने किया था
होयसलेश्वर मंदिर Hoysaleshwara a Temple Belur के आसपास मिले पत्थर के शिलाश्रय से मन्दिर के विषय में काफी कुछ जानकारी प्राप्त होता है, प्राप्त शिलाश्रय के अनुसार इस मंदिर पर कई बार मुस्लिम आक्रांताओ के आक्रमण का प्रमाण मिलता हैं .जिसमे सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि मंदिर के ऊपर एक शिखर की गैर मौजूदगी हैं. वर्ष 1400 से लेकर 1600 तक दिल्ली मुस्लिम आक्रान्ता अलाउद्दीन खिलजी वँ मुहम्मद बिन तुगलक ने इस मंदिर को नष्ट करने के लिए इसपे आक्रमण किया था।उस दौरान यहां काफी तोड़ फोड़ और विध्वंस मचाया था. जिसे हिंदू राजाओ ने समय समय पर इसका जीर्णोद्धार कराया था।उसके बाद यहां विजयनगर साम्राज्य की स्थापित हुआ।
द्वारसमुद्र कहा है dvara samundr kaha hai
कर्नाटक राज्य के बंगलुरु से लगभग 2०० किमी दूर एक मंदिर नगरी है हैलेबिडु।जिसे दक्षिण भारत का काशी भी कहा जाता है,‘हैलेबिडु’ का कन्नड़ भाषा में अर्थ होता है प्राचीन शिविर।और इसी स्थान को द्वारसमुंद्र कहा जाता है जिसका मुख्य कारण है यहां समीप में ही स्थित एक विशाल जल स्त्रोत है।
पूछा जाने वाला प्रश्न–
होयसलेश्वर मंदिर हैदराबाद से कितनी दूर है?How far is Hoysaleshwara Temple from haidarabad?
12 घंटे 48 मि (653.7 कि.मी.) NH 44 से होकर जाने पर।
होयसलेश्वर मंदिर पांडिचेरी से कितनी दूर है?How far is Hoysaleshwara Temple from Pondicherry
573 किमी।
होयसलेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे? How to reach Hoysaleshwara Temple?
होयसलेश्वर मंदिर आप अपने गंतव्य स्थान से स्थान से सड़क मार्ग ,रेलवेमार्ग तथा हवाई मार्ग के द्वारा जा सकते हैं. इसके अलावा समुद्री मार्ग से भी जा सकते है।
होयसलेश्वर मंदिर कब और किसने बनवाया था? Who built Hoysaleshwara Temple?
हलेबिड के होयसल साम्राज्य के प्रसिद्ध राजा विष्णुवर्धन ने होयसलेश्वर मंदिर का निर्माण सन् 1121 में करवाया था
होयसलेश्वर मंदिर कहा स्थित हैं? Hoysala Temple Kha hai
होयसलेश्वर मंदिर कर्नाटक के हासन जिले के हलेबिड नामक स्थान पर है.
Hoysaleshwara Temple timings
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Conclusion:- भारत के सबसे प्राचीन हिन्दू मंदिरों में से एक होयसलेश्वर मंदिर कर्नाटक का सम्पूर्ण जानकारी आपको कैसा लगा, क्या यह शिव मंदिर Hoysaleshwara Temple india in hindi का जानकारी आपके लिए पर्याप्त है. और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।
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