हल्दीघाटी युद्ध ( Battle Of Haldighati ) का इतिहास क्यों बदला जा रहा.. जानें इसमें महाराणा प्रताप की जीत हुई या हार की असली इतिहास-

हमारा देश भारत 19वी सदी तक  कई सारे भयंकर ऐतिहासिक औऱ बड़ी युद्ध लड़ी। उस युद्ध की वीर गथाएं हम सब ने कम या ज्यादा पढ़े भी है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसा युद्ध के बारे में बता रहे हैं. जो भारतवर्ष के सभी हिन्दू वँ खास कर राजपूतों के आन बान शान की लड़ाई थी.यह युद्ध महाराणा प्रताप वँ मुगल आक्रान्ता अकबर द्धारा लड़ी गई थी . जिसे हल्दीघाटी युद्ध Battle Of Haldighati के नाम से जाना जाता है. जो मात्र 4 घण्टे की भयंकर युद्ध में महाराणा प्रताप की विजयी हुई वँ आक्रान्ता अकबर के सैनिकों की हार. वैसे तो यह युद्ध अपने आप एक निर्णायक युद्ध था।

हल्दीघाटी युद्ध ( Battle Of Haldighati )पर पुनः इतिहास क्यों बदला जा रहा.. जानें इस युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई या हार की असली इतिहास-


जिसे हमारे देश के दोगले इतिहासकारों ने कुछ कह कर बताया औऱ पूरे भारतवर्ष को पढ़ाया गया.इस युद्ध को लेकर हमारे देश के मुगलो वँ अंग्रेजों के मानसिक रूप से गुलामो ने एक गलत इतिहास लिखा।जिसे अब फिर से एक बार नया इतिहास लिखा जा रहा है और महाराणा प्रताप वँ वीर सैनिकों पर लगे दाग को खत्म किया जा रहा है. तो आइए जानते हैं हल्दी के घाटी के इस ऐतिहासिक वँ निर्णायक युद्ध के बारे में विस्तार से-

महाराणा प्रताप का जीवन वँ हल्दीघाटी युद्ध

हल्दीघाटी के युद्ध Battle Of Haldighati के विषय में जानने से पहले आप सब अकबर को वँ महाराणा प्रताप को जान ले। महाराणा प्रताप का जन्म चित्तौड़ के कुम्भलगढ़ किला के कटार गढ़ के बादल महल में विक्रम संवत जेठ माह के 1596 में हुआ था.महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा उदय सिंह के बड़े बेटे थे, उनकी मां का नाम जैवंता बाई था।

ऐसा कहा जाता है कि प्रताप के जन्म के बाद ही उनकी माता जैवंता बाई से का देहांत हो गया था .और शायद इसी कारण राजा उदय सिंह ने अपने दूसरी पत्नी धीरबाई के बेटे जगमाल सिंह को अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया था.ऐसा इतिहास में उल्लेख है कि उदय सिंह के मृत्यु के पश्चात धीरबाई का बेटा जगमाल सिंह के राज्यभिषेक से बड़े बेटे होने के नाते महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक किया गया था.

महाराणा प्रताप के सत्ता संभालने के महज 4 वर्ष बाद ही मुगल और राजपूत आमने-सामने आए. मुगल शासक आक्रान्ता अकबर दिल्ली से चलकर अजमेर आया,और उसने मान सिंह के नेतृत्व में राजपूत महाराणा प्रताप के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए एक विशाल सेना गोगुंदा की तरफ रवाना की.जो आगे चलकर यह सेना ने राजसमंद के मोलेला में अपना डेरा डाला.तथा वही दूसरी तरफ से महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ की सेना लोशिंग में डेरा डाले हुए थी।

हल्दीघाटी का इतिहास बताइए History Of Haldighati

हल्दीघाटी युद्ध Battle of Haldighati मेवाड़ के राजपूत महराजा महाराणाप्रताप और मुगल आक्रान्ता अकबर के बीच 18 जून 1576 को हल्दी घाटी के मैदान में हुआ था. इसी कारण इस युद्ध को हल्दीघाटी का युद्ध कहा जाता है.आपको यह बता दें कि हल्दी घाटी एक अरावली पर्वत श्रृंखला से गुजरने वाला दर्रा, जो राजस्थान राज्य के उदयपुर जिला मुख्यालय से लगभग 42 कि.मी दूर स्थित है . यह दर्रे वँ इसके आसपास के मिट्टी का रंग मुख्य रूप से हल्दी जैसा पिला हैं.यह दर्रा राजस्थान के दो जिले राजसमंद और पाली जिलों को आपस मे जोड़ता है.

हल्दीघाटी युद्ध होने का मुख्य कारण मुगल आक्रान्ता अकबर द्वारा उस समय के अन्य प्रान्तों वँ उनके राजाओं द्वारा आक्रान्ता अकबर का गुलामी को स्वीकार करना था. तथा अपने राज्य को अकबर के अधीन करना था.जो कि हमारे वीर योद्धा राजपूत राजा महाराणा प्रताप को कहि से भी बिल्कुल भी स्वीकार नहीं था. राणा महाराणा प्रताप और आमेर के महाराजा मानसिंह प्रथम ने अपने राज्य के आन बान शान और राजपूतों के गौरव के लिएअकबर को इसके लिये चुनौती दे डाली।

राजपूतों ने छोड़ साथ

इतिहास में लिखित तथ्यों वँ वहां के लोकल आम निवासी के अनुसार उस समय राजस्थान समेत भारतवर्ष के कई प्रान्तों के राजा महाराजा ने मुगल आक्रांता अकबर वँ मुगलो को स्वीकार कर लिया. तो वही दूसरे तरफ मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह जी ने कभी मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं किये .ऐसे में मुगल अकबर ने अपने राज्य विस्तार के लिए माह अक्टूबर वर्ष 1567 में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी की।इसी घेराबंदी को लेकर उदय सिंह को रक्षा का पद छोड़ना पड़ा था.इसके बाद इसकी जिम्मेदारी मेड़ता के राजा जयमल सिंह को दे दी गई थी.और उदय सिंह उसके बाद करीब 4 साल तक जंगलों में रहे और उसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई अरावली के घने जंगलों में।

बैटल ऑफ़ हल्दीघाटी के दौरान औऱ उससे पूर्व वँ बाद में भी भारतवर्ष के कई राजाओं-महाराजाओं ने अकबर का साथ तो दिया ही था बल्कि कई राजपूतों भी मुगलों से मिल गई थी, उसके बावजूद स्वाभिमानी वँ महापराक्रमी राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगल शासक आक्रान्ता अकबर की गुलामी कभी स्वीकार नहीं की थी।

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महाराणा प्रताप ने संभाली कमान

मेवाड़ राजा उदय सिंह की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र राणा महाराणा प्रताप ने उस राज्य की कमान संभाली।जिसके बाद मुगल आक्रान्ता अकबर ने कई बार प्रताप को अपन गुलाम बनने को कहा लेकिन महाराणा प्रताप ने मुगलों की एक नहीं सुनी।औऱ अंतः ह अकबर ने प्रताप से युद्ध करने का फैसला किया।

हल्दीघाटी का युद्ध Battle Of Haldighati (अकबर द्धारा लड़़ा गया सबसे बड़ा युद्ध)

हल्दीघाटी युद्ध भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वँ प्रमुख लड़ाइयों में से एक है.यह युद्ध भले ही 4 घण्टे म समाप्त हो गई थी लेकिन थी काफी महत्वपूर्ण। Battle of Haldighati के इस युद्ध में महापराक्रमी राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप के सेना का नेतृत्व अफगान योद्धा हाकिम खां वँ महाराणा प्रताप ने स्वयं की थी.तो वही मुगल वंश सेना का नेतृत्व राजा मानसिंह ने किया था।

हल्दी घाटी के इस युद्ध में अकबर के पास लगभग 80 हजार से भी अधिक विशाल सेना थी. जिसके पास भारी मात्रा में युद्ध हथियार भी थे, तो वही महाराणा प्रताप के सिर्फ 20 हजार ही सैनिक थे।इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने अपनी छोटी सेना के साथ मिलकर हल्दीघाटी गोमुंडा की युद्ध भूमि में अकबर की सेना पर हमला कर दिया। और बड़े ही बहादुरी से राजपूत सैनिको ने मुगलों के सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.

अकबर की सेना ज्यादा होते हुए भी राजपूतों के सेना के सामने पस्त पड़ गई थी. इसी युद्ध के दौरान प्रताप ने अकबर के सेना पति बहलोल खा को अपने भाला से एक ही बार में चिर डाला था. इस युद्ध में महाराणा प्रताप वँ उनके अजय अश्व चेतक तथा हाथी घायल जरूर हो गए थे. उसके बाद भी ये झुके नहीं और वीरता से लड़ते रहे।

ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध में अकबर के सेनाओं ने महाराणा प्रताप वँ उनके हाथी को अपना बंदी बनाने का काफी प्रयास किया था लेकिन वे सफल नहीं हो पाए थे।इतिहासकारों के अनुसार इस युद्ध के दौरान इतने ज्यादा रक्त रंजित हुआ था कि इस घाटी का पीला भूमि खून से लाल हो गया था.यहां तक की जब इस युद्ध का समापन हुआ था 

तब वहां जोरो से बारिश होने लगा था. जिस कारण से वहां रक्त। यानी खून का तालाब बन गया था. वह स्थान आज भी हैं .जिसे रक्ततलैया के नाम से जाना जाता है.इससे आप कल्पना कर सकते हैं कि उस समय मुगलो के सेना की क्या हाल हुआ होगा।

युद्ध में कितने सैनिक मारे गए थे

ऐसा कहा जाता है कि हल्दीघाटी का युद्ध Battle Of Haldighati इतना भयंकर युद्ध था कि आज के समय में यह जानकर आप ढंग रह जाएंगे कि इस 4 घन्टे की युद्ध में की मुगलो के सेना के लगभग 3500 से 7800 सैनिक मारे गए थे तथा 350 से कहि अधिक घायल हो गए थे . तो वही दूसरी तरफ इस युद्ध में राजपूतों के लगभग 16,00 सैनिक मारे गए थे. आप इसी बात से पता लगा सकते हैं कि राजपूतो ने कितनी बहादुरी से मुगल सेना का मुकाबला किया था .

4 घंटे की इस युद्ध में किसकी जीत हुई – Who Won The Battle of Haldighati

सिर्फ 4 घण्टे वाली यह ऐतिहासिक की लड़ाई मुगलो की विशाल सेना होने के बावजूद भी राजपूतों की छोटी सेना के सामने कहि नही टिक पा रही थी.सारे मुगलो का हाल बहुत ही बुरी हो चुकी थी.जबकि मुगलों की सेना अपने पास भारी मात्रा में युद्ध शस्त्र और हथियार के साथ गए हुए थे. उनके सेना में अनई राजपूतों राजाओ का भी सेना था।

हालांकि, हल्दीघाटी की लड़ाई में अकबर और महाराणा प्रताप में किसकी जीत हुई, और किसकी हार हुई इसको लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग अपने मत है।लेकिन कुछ दोगले इतिहासकारों ने जो उस समय मुगलो की गुलामी स्वीकार कर ली और उसे महान बताया।वही लोग गलत इतिहास लिखा तथा हल्दीघाटी के युद्ध के असली नायक राजपूत राजा महाराणा प्रताप वँ उनकी वीरता तथा युद्ध कौशल को कम कर के दिखाया गया। तो वही मुगल शासक अकबर को महान बताया गया और पढ़ाया भी गया।जबकि यह पूरी तरह गलत है, अकबर ने अपने शासन काल में सम्पूर्ण भारत वर्ष पर अपना जबरन अधिपत्य स्थापित करने का प्रयास किया परन्तु असफल रहा।

ठीक उसी प्रकार haldighati के इस युद्ध में घटनाओं वँ उसके मिले सबूतों को देखा जाए तो मुगल अकबर का हार हुआ था जबकि महाराणा प्रताप का जीत।यह बात सत्य है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप घायल हो गए थे. होने के बाद जब युद्ध की अंत हुआ तो महाराणा प्रताप उनका घोड़ा चेतक का भी स्वर्गवास हो गया था। जिसके बाद  मुगल साम्राज्य का काफी विस्तार कर लिया था।

Haldighati युद्ध का हाल

हल्दी घाटी के सबसे बड़ी वँ महत्वपूर्ण बात यह है कि यह युद्ध एक पहाड़ के दर्रा वँ जंगलों में हो रहा था, और उस दौरान भी महाराणा प्रताप के अपने ही शक्ति सिंह वँ अन्य राजपूत राजाओं ने अकबर का साथ दिया था.इस युद्ध में प्रताप के सेनापति हकीम खान सूर, मानसिंह झाला ,डोडिया भीम, राम सिंह तंवर, जैसे कई राजपूत योद्धाओं के साथ उनके पुत्र भी वीर गति को प्राप्त हो गए तो वही अकबर के सेना में मान सिंह छोड़ सभी मार गया था।

हल्दीघाटी युद्ध ( Battle Of Haldighati) महाराणा प्रताप वँ अकबर का इतिहास फिर क्यों बदला जा रहा है

हल्दीघाटी युद्ध ( Battle Of Haldighati) महाराणा प्रताप वँ अकबर का इतिहास फिर क्यों बदला जा रहा है

फ़ोटो- रक्ततलैया,हल्दीघाटी राजस्थान

राजस्थान के राजसमंद में लगे पत्थरों के स्मारक को अब हटाया जा रहा है.जिस पर महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के लड़ाई में अकबर के सेना के डर से अपनी सेना को पीछे हटना पड़ा था, ऐसा लिखा गया है.दरअसल सालों से इस देश में कई राजपूत संगठनों द्वारा इस युद्ध से जुड़ी कई सबूत दिए गए और यह कहा गया कि उस पत्थर को हटाया जाए जिसपे प्रताप को एक पराजित योद्धा बताया गया है,

जिसे लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग ASI) ने एक अहम फैसला लिया हैं कि अब राजसमंद जिले में लगे स्मारक से उन सभी पत्थरों को हटाया जाएगा, जिस पर लिखा है कि हल्दी घाटी के युद्ध में राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था.इसे लेकर कई बार वर्षों से राजपूत समाज द्वारा इस बात पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद से भारतीय पुरातत्व विभाग ने यह फैसला लिया है.

इससे पहले तक सभी स्कूल कॉलेजों विश्वविद्यालय आदि में यही पढ़ाया वँ बताया जाता रहा है .कि हल्दीघाटी के युद्ध (Haldighati War) में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था. तथा मुगल शासक अकबर इस युद्ध में जीत गया था. लेकिन अब वैसा आपको कहि नही बताया जाएगा और नही पढ़ाया जाएगा। क्योंकि उन सब स्मारक को भारतीय पुरातत्व विभाग ASI) द्वारा हटा दिया गया है.

इसके लिए राजसमंद से सांसद राजकुमारी दिया कुमारी जी के अथक प्रयास वँ केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री से इसमें सुधाप किए जाने की मांग की थी .जिसके बाद अर्जुन मेघवाल ने ASI को इसमें सुधार के निर्देश दिए थे.अब हल्दीघाटी स्मारक में लगे पत्थर को बदला दिया गया है।

हल्दीघाटी क्या है? What is Haldighati ?

हल्दीघाटी क्या है? What is Haldighati ?

Photo- Haldighati, Rajsthan

हल्दीघाटी अरावली पर्वतमाला सृंखला का एक दर्रा है. जिसके आसपास पहाड़ पर्वत और घने जंगल हैं. यह घाटी खमनोर, बलीचा और खमनोर गांव के मध्य में स्थित है.हल्दी घाटी बनास नदी के किनारे स्थित है।

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Conclusion:- हल्दीघाटी युद्व की जानकारी आपको कैसा लगा, क्या यह Battle of Haldighati का जानकारी आपके लिए पर्याप्त है और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं।हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।

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