सबरीमाला मंदिर का इतिहास क्या है,इस मंदिर का विवाद.. कौन हैं भगवान अयप्पा

सबरीमाला मंदिर भारत के सबसे फेमस हिन्दू मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में पिछले 800 वर्षों से महिलाओं को जाने पर प्रतिबंध लगाया गया हैं. जिसका कारण हैं- इस मंदिर में स्थापित भगवान अयप्पा का ब्रह्मचार्य का होना। और यही कारण है कि यह मंदिर पिछले कई सालों से हमारे देश भारत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है.अगर आपको इस मंदिर के इतिहास वँ खुलने तथा बन्द होने और विवाद आदि के बारे में पूरा जानना चाहते हैं .तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़े-

सबरीमाला मंदिर का इतिहास क्या है,इस मंदिर का विवाद.. कौन हैं भगवान अयप्पा


सबरीमाला मंदिर का इतिहास Sabrimala Temple History in Hindi

sabrimala mandir in hindi:- आप सब तो वाल्मीकि रामायण के बारे में अवश्य ही सुना वँ पढ़ा होगा. जिसकी शिक्षा लेकर तुलसी दास जी ने तुलसी रामायण की रचना किये थे. ठीक उसी प्रकार से दक्षिण भारत में भी कई बड़े बड़े विद्वान ने रामायण की एक अलग रचना की, उन्ही में से है, श्री कम्बनरामायण कम्बन रामायण के एक आध्यय में शिशु शास्ता नाम का उल्लेख किया गया है.

वही शिशु शास्ता दक्षिण भारत के राज्य केरल में भगवान अयप्पन के रूप में जाने और पूजे जाते हैं. इस बात का उल्लेख महाभागवत कथा तथा स्कंदपुराण में भी किया गया है. जिसके अनुसार भगवान अयप्पन यानी शिशु शास्ता का जन्म मोहिनी रूप में अवतरित श्री विष्णु तथा भगवान शिव के मिलन के कारण हुआ था.

सबरीमाला का प्रसिद्ध मन्दिर भगवान अयप्पा को समर्पित मंदिर हैं.यह विश्व प्रसिद्ध अयप्पा मंदिर पुणकवन नाम से प्रसिद्ध 18 पहाड़ियों के मध्य में स्थित दक्षिण भारत राज्य का एक बहुत बड़ा धाम है. इस मंदिर को सबरीमला श्री धर्मषष्ठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म के पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव भक्त श्री परशुराम भगवान ने ही सबरीमाला में भगवान अयप्पा की पूजा अर्चना करने के लिए प्रतिमा स्थापित किया था. इसके अलावा कुछ लोग श्रीराम भक्त माता शबरी के नाम से भी जोड़कर देखते हैं.

इस मंदिर के इतिहास लगभग आज से 800 वर्ष पहले बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि 10 वी सदी से लेकर 12वी सदी के मध्य में दक्षिण में शैव पंथी के साथ साथ वैष्णव पंथी के अंदर एक वैमनस्य कुछ ज्यादा ही गया था.तब दोनो पक्ष इस विवाद को खत्म करने के लिए भगवान अयप्पा के मूल विचारो को रखकर,आपस मे ही बराबरी के लिए इस धर्मतीर्थ को बनाया. और यही इस मंदिर की मूल सिद्धांत वँ आपसी सद्भावना की निशानी मानी जाती है. इस मंदिर का सबसे बड़ा खास बात यह है कि इस मे किसी भी धर्म पंथ,जाती वर्ण के लोग जा सकते हैं.

कौन है भगवान अयप्पा ?

स्कन्दपुराण के असुर कांड आध्यय में उल्लेख बातों के अनुसार-एक बार एक असुर को मारने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अवतरित हुए, और इसी रूप को देखकर भगवान भोलेनाथ का वीर्यपात हो गया. जिसके बाद महदेव के इस वीर्य से सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ.और इस तरह से भगवान शिव वँ भगवान विष्णु के द्वारा उत्पन इसका नाम हरिहरपुत्र रखा गया.और इन्हें दक्षिण भारत के राज्यो में भगवान अयप्पा कहा गया। भगवान अयप्पा को मणिकांता , शास्ता तथा अयप्पन के नाम से भी जाना जाता है.वैसे तो भगवान अयप्पा मंदिर दक्षिण भारत में कई हैं. लेकिन सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर ही मुख्य मंदिर हैं.

सबरीमाला मन्दिर कहां स्थित है sabarimala mandir kaha par sthit hai

सबरीमाला का विश्व प्रसिद्ध मन्दिर दक्षिण भारत राज्य केरल के राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किमी की दुरी पर सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित है

18 पावन वँ पवित्र सीढ़ियां

सबरीमाला अयप्पा मन्दिर में पहुंचने के लिए 18 पावन वँ पवित्र सीढ़ियां को पार करने पड़ते हैं और इन सभी 18 सीढ़ियों का अलग अलग नियम तथा अर्थ बताये गए हैं. इनमें से प्रथम 5 सीढ़ियां मानव पांचों इन्द्रियों माना जाता है.दूसरे 8 सीढ़ियां मानव जीवन के मानवीय भावनाओं को कहा जाता हैं. तीसरी 3 सीढ़ियां मानव जीवन के गुण समझ को माना जाता है. तथा अंतिम की 2 सीढ़ियां को ज्ञान तथा अज्ञानता को माना जाता है।

सबरीमाला मंदिर का रहस्य sabarimala mandir ki kahani

इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ा एक रहस्य है. जिसे लेकर यहां के लोगो वँ इस अयप्पा स्वामी मंदिर के पुजारियों का कहना है .कि प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के मध्य रात्री में यहां एक ज्वाला दिखाई देती हैं. औऱ मकर संक्रांति के रोज  ही दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु, लोग इस ज्वाला का दर्शन करने आते हैं. यहां के लोगों वँ पुजारियों का कहना है कि जब भी यह ज्योति/ ज्वाला प्रकाशित होती है तो एक शोर भी सुनाई देती हैं. जिसे लेकर कहा जाता है कि यह ज्योति एक देव ज्योति हैं जिसे स्वयं भगवान जलाते हैं.

Sabrimala  का महोत्सव

ऐसा कहा जाता है कि एक बार राजा राजशेखर भगवान अय्यप्पा को पुत्र के रूप में गोद लिया था. लेकिन इस बात से भगवान अयप्पन बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थे.जिसके बाद वे इस राजमहल को छोड़ कर चले गए थे. जिसके बाद से ही यह एक परंपरा बन गया और तभी से हर वर्ष मकर संक्रांति को पंडालम के उसी राजमहल से एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है. जो तकरीबन 90 km की लम्बी दूरी को तय करते हुए, सबरिमाला के अयप्पन मंदिर पहुचता हैं.

इसके अलावा हर वर्ष 15 नवम्बर को भी इस मंदिर में मंडलम का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। सबरिमाला अयप्पा मंदिर केरल को देख रेख करने वाली प्रबंधन त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के अनुसार इस हर वर्ष इस मंदिर में करीब 5 करोड़ लोग दर्शन करने आते है।

सबरीमाला में भगवान अयप्पा के दर्शन

सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी मंदिर में दर्शन करने जाने के लिए केरल के घने वन, सह्याद्रि की ऊंची पहाड़ि श्रृंखला और कई अन्य कठिनाई को झेलते हुए जाना पड़ता है. यहां आने वाले प्रत्येक भक्त को पैदल यात्रा करनी पड़ती हैं . जिसके लिए उन्हें ऑक्सीजन के साथ साथ प्रसाद का प्रीपेड कूपन दिए जाते है. इस दौरान भक्त को 41 दिनों का कड़ा वृहताम का पालन करना अनिवार्य होता है. आपको यह भी हम बता दें कि सबरीमाला तीर्थंकर धाम आने का समय औऱ खास महीना होता हैं. और उसी वक्त लोग दर्शन करने आते हैं.

सबरीमाला के मन्दिर में जाने वाले प्रत्येक भक्त अपने सर पर एक पोटली ले कर जाते हैं उस पोटली में भगवान श्री अयप्पा को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद होता हैं जो मंदिर में अर्पित की जाती हैं. इस मंदिर के मान्यता अनुसार कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु उपवास रख तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर अपने सर पर भगवान का पोटली को जाता है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती हैं.

ये भी पढ़ें- दुनिया के सबसे बड़ा विज्ञान प्रयोगशाला में भगवान शिव की प्रतिमा क्यों लगी है

सबरीमाला मन्दिर विवाद sabrimala mandir case in hindi

सबरीमाला मंदिर विवाद sabrimala mandir case in hindi


सबरीमाला अयप्पा मंदिर के मान्यता अनुसार भगवान के  अयप्पा एक ब्रह्मचारी थे.इसलिये इस मंदिर में वैसी हर स्त्री जिनका मासिक धर्म की शुरुआत हो चुका है वैसी महिलाएं इस मंदिर में प्रवेश नही कर सकती हैं.लेकिन साल 2006 में कन्नड़ फिल्मों के कलाकार प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने यह दावा की थी कि वह इस मंदिर में स्थापित भगवान अयप्पा की स्पर्श की है.

जिसके बाद सबरीमाला टेम्पल मामला पर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंच गया.औऱ सुनवाई भी हुई.परन्तु यह विवाद औऱ ही ज्यादा बढ़ता गया और समय के साथ सबरीमाला के इस प्राचीन मंदिर केस उलझता ही चला गया।  उसके कई साल बाद 28 सितंबर, 2018 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटा दिया और हर उम्र के महिलाओं को जाने का अनुमति दे दिया। लेकिन उसके बाद देश भर से कई हिन्दू संघठन और कई राजनीतिक दलों ने इसपे कुल 64 पुनर याचिका दायर किया.उसके बाद इस केश को कोर्ट ने फिलहाल आगे के बेंच को रेफर कर दिया गया है।

सबरीमाला में किनकी प्रतिमाये स्थापित है ?

सबरीमाला अयप्पा मंदिर केरल में भगवान श्री अयप्पन के आलवा मालिकापुरत्त अम्मा, भगवान श्री गणेश तथा भगवान नागराज की प्रतिमा स्थापित है.

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है

सबरीमाला अयप्पा मंदिर के मान्यता अनुसार भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी थे . इसलिये इस मंदिर में वैसी हर स्त्री जिनका मासिक धर्म की शुरुआत हो चुका है वैसी महिलाएं इस मंदिर में प्रवेश नही कर सकती हैं. लेकिन  12 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक उम्र की सभी स्त्री इस मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। वैसे फिलहाल समय में  सबरीमाला के मन्दिर में महिलाओं की एंट्री जारी है

पूछे जाना वाला प्रश्न-

सबरीमाला मन्दिर किस राज्य में है sabarimala mandir kis rajya mein hai

सबरीमाला अयप्पा मंदिर केरल राज्य में है.

सबरीमाला अयप्पा मन्दिर किसने बनवाया।

sabarimala mandir kerala का निर्माण वहां के राजा श्री राजसेखरा ने कराया था।

कैसे पहुंचे सबरीमाला

यदि आप सबरीमाला अयप्पा मन्दिर जाना चाहते हैं तो आप देश के किसी भी जगह से आसानी से पहुंच सकते हैं.सबरीमाला का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा वहां से 92 km की दूरी पर तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा हैं.आगर आप

रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको वहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन तिरुअनंतपुरम, कोच्चि और कोट्टायम रेल स्टेशन पहुच कर आसानी से अपने गन्तव्य सबरीमाला पहुंच सकते हैं.

Conclusion:- सबरीमाला मंदिर केरल की  जानकारी आपको कैसा लगा, क्या यह Sabrimala Mandir Story का जानकारी आपके लिए पर्याप्त है और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।

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