दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान प्रयोगशाला में आखिर क्यों लगी है, भगवान शिव नटराजन ( Bhagvan shiva) की प्रतिमा

भगवान महादेव जिन्हें हिन्दू धर्म मानने वाले लोग अपना देवता  (god) मानते हैं. सनातन धर्म के अनुसार भगवान भोलेनाथ इस सम्पूर्ण ब्रह्मंड के जगत पिता है जनक है. अविष्कारक हैं ,रचियता हैं,आदि हैं, अनन्ता हैं। भगवान शिव (Bhagvan shiva ) इस दुनिया के हर कण में समाहित है विराजमान हैं महादेव को ही इस दुनिया के रहने वाले सभी प्राणी को जीवन का आधार माना गया है. और इसीलिए भारत सरकार ने भगवान शंकर की प्रतिमा cern को दी थी।

दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान प्रयोगशाला में आखिर क्यों लगी है, भगवान शिव नटराजन ( Bhagvan shiva) की प्रतिमा


महादेव के इच्छा से ही इस दुनिया में हर चीज हर कार्य सम्भव हैं. जन्म से लेकर मृत्यु तक।हर एक चीज महादेव के अधीन हैं.चाहे वह पृथ्वी, वायू, जल ,अग्नि या अंतरिक्ष यह सब भगवान महादेव के अधीन है और और वही इनका स्त्रोत भी हैं इसमें चाहे उतपत्ति हो विनाश। औऱ यही सब कारण है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक हजारों लाखो साल से इस विषय पर समय समय पर शोध रिषर्च करते रहते हैं वँ अपना विचार रखते हैं यह प्रक्रिया आज तक निरन्तर जारी है शायद आगे भी जारी रहेगी।

चाहे वह भगवान शिव से जुडी हुई बात हो या हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रन्थ वेद पुराण ,रामायण ,महाभारत ,गीता आदि कोई भी हो आज हम आपको ऐसी ही हिन्दू धर्म और विज्ञान से जुडी एक बहुत बडी वैज्ञानिक रिषर्चर को बताने जा रहा हूँ।तो चलिये जानते है विस्तार से-

पश्चिमी देश स्विटजरलैंड स्थित दुनिया के सबसे बड़े फीजिक्स लैब सर्न (CERN) ने अपने परिसर में भगवान शंकर की प्रतिमा जो नटराज रूप की नृत्य वाली मूर्ति लगा रखी है.आखिर यह हिन्दू देवता की प्रतिमा क्यों लगायी गयी है।

दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान प्रयोगशाला में लगी भगवान शंकर Bhagvan shiva की प्रतिमा

Bhagvan shiva:- वैसे तो वैज्ञानिक धर्म को नही मानती लेकिन कभी कभी ऐसी परस्तीति का सामना होता है कि उन्हें यह स्वीकार करने पड़ते हैं। औऱ यह भी एक कारण है कि दुनिया के सबसे बड़े विज्ञान के प्रयोगशाला में भगवान शिव के मूर्ति को लगयी गयी हैं, यह प्रयोगशाला स्विटजरलैंड में स्थित फिजिक्स लैब सर्न (CERN) मौजूद हैं.औऱ यहां के वैज्ञानिक इस प्रतिमा को लगाने के लिए अलग अलग अपनी बात को रखते आये हैं। जिसमें मुख्य कारण हम बता रहे हैं जो नीचे है-

इस पृथ्वी पर मानव जीवन की सबसे बड़ी उर्जा का स्रोत हैं तो वह हैं भगवान शिव. इस बात की पिछले हजारों साल से एक नहीं अपितु कई वैज्ञानिक भी अपने अपने तरीके से इसकी व्याख्या कर चुके हैं. हिंदू धर्म के पुराणों में शिव की अवधारणा को लेकर कुछ वैज्ञानिकों ने तो अपने स्पष्ट दृष्टिकोण दिए हैं. तो कुछ ने कुछ ने भगवान शिव को इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा वँ प्रथम वैज्ञानिक भी मानते हैं शायद इसलिए किसी को इस बात से हैरानी भी नहीं होती।

सर्न में कहां से आई भगवान शिव की मूर्ति 

सर्न में कहां से आई भगवान शिव की मूर्ति

स्विट्जरलैंड के फिजिक्स लैब सर्न (CERN) में स्थित भगवान शिव के रूप नटराज की प्रतिमा को वर्ष 2004 में भारत सरकार के द्वारा उपहार में दी गयी थी जो 2 मीटर लम्बी हैं। जिसका प्राण प्रतिष्ठा वर्ष 2004 में 18 जून को किया गया था . इस नटराज प्रतिमा के निचे पट्टी पर कुछ पंक्तिया लिखी गयी हैं. जिसे फ्रिटजॉफ कैप्रा के नाम से जानते हैं .

और इसका अर्थ होता है कि – हजारों वर्ष पूर्व भारतीय कलाकारों ने नाचते हुए भगवान शिव के चित्र बनाए. जो कांसे के बने नाचने वक्त शिव की सीरीज में प्रतिमा हैं. जो वर्तमान समय में कॉस्मिक डांस को चित्रित करता हैं. और यह कॉस्मिक डांस का रूप पूर्व काल में कई पौराणिक कथाओं से आज भी मेल खाता है. तथा यही वर्तमान धार्मिक कलाकारी मॉर्डन फिजिक्स का मिश्रण है.

महादेव को लेकर क्या कहते हैं आज के आधुनिक वैज्ञानिक

प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक फ्रिटजॉफ कैप्रा एक पुस्तक में “द ताओ ऑफ फिजिक्स ” में भगवान शिव को लेकर अपने तर्क रखा था कि – भगवान शिव  Bhagvan shiva का नाचता हुआ स्वरूप सम्पूर्ण ब्रह्मांड के अस्तित्व को रेखांकित करता है. शिव हम सभी मानव जाति को अपने इस स्वरूप के माध्यम से बतलाते है कि इस संसार में कुछ भी मौलिक नहीं है. हर चीज भृम हैं, परिवर्तन शील हैं और आज के समय का विज्ञान भी यही कहता है। जिन्हें हम इन ऑर्गेनिक मैटर्स का नियम कहते हैं।

आगे इस विषय पर और लिखते हैं कि – क्वॉन्टम फिल्ड थ्योरी के मुताबिक पृथ्वी पर मौजूद किसी भी पदार्थ का अस्तित्व ही निर्माण तथा विनाश के नटराज नृत्य पर ही आधारित है. जिसे आजकल आधुनिक फीजिक्स इस बात को स्पष्ट करता है कि सभी सब एटॉमिक पार्टिकल ना सिर्फ एनर्जी डांस करते हैं, बल्कि ये एनर्जी डांस ही निर्माण और संहार को संचालित करता है. मॉर्डन फिजिक्स के लिए शिव का डांस सब एटॉमिक मैटर का डांस है।

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स्विटजरलैंड में स्थित फिजिक्स लैब सर्न (CERN) के वैज्ञानिक भगवान शिव ( Bhagvan shiva ) से क्या सिख लेते हैं

स्विटजरलैंड में स्थित दुनिया के सबसे बड़ा फिजिक्स लैब सर्न (CERN) के वैज्ञानिक उनसे कई प्रकार के सिख लेते हैं और आदर्श भी मानते हैं उनमें से एक वैज्ञानिक बोलते हैं कि इस नृत्य करते हुए भगवान महादेव की प्रतिमा हमें दिन के उजाले में जीवन के साथ ताल से ताल मिलाता है और वही रात के अंधियारे में जब भी हम इस पर गहराई से विचार करते हैं .

तो शिव हमारे काम से उजागर हुई चीजों की परछाइयों से रूबरू करवाते हैं.और बोलते हैं कि ब्रह्मांड में कोई भी वस्तु स्थिर नहीं है हर पल हर घड़ी लगातार चीजें बदल रही हैं. कोई भी चीज स्थिर नहीं है। इसके अलावा कहते है कि- भगवान शंकर की प्रतिमा की दिन और रात दोनों को समझाती हैं। शिव का तांडव नृत्य ब्रह्मांड में हो रहे मूल कणों के उतार-चढ़ाव की क्रियाओं का प्रतीक है।

भगवान शंकर की प्रतिमा सर्न में लगाये जाने पर की गई थी आपत्ति

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि विज्ञान धर्म को नही मानता। ठीक उसी प्रकार कुछ बाहरी वव्यक्ति जो वहां काम भी नही करता वह भगवान महादेव   Bhagvan shiva की प्रतिमा लगाए जाने पर सवाल खड़ा किया था। और वे संकीर्ण विचार धारा वाले लोगो ने इस संस्था सर्न से पूछा था कि प्रयोगशाला में हिंदू देवता की मूर्ति क्यों लगा रखी है

हालांकि सर्न ने इन सवालों के जवाब भी दिए थे. सर्न की तरफ से कहा गया था कि भारत इस प्रयोगशाला का एक ऑब्जर्वर देश है. ये सर्न की बहुसंस्कृतिवाद को रेखांकित करता है. दुनियाभर के वैज्ञानिक इसे अपने आप से जोड़ सकते हैं. दुनिया का सबसे मशहूर फीजिक्स लैब सर्न कई देशों के सहयोग से चलाया जा रहा है. इसमें भारत का सहयोग भी शामिल है. सर्न (CERN)  का फुल फ्रॉम यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च यानी सर्न लेबोरेटरी हैं

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Conclusion:- विश्व की सबसे बड़ी फिजिक्स प्रयोगशाला लगाई गई भगवान शिव की प्रतिमा के बारे में यह सम्पूर्ण लेख हैं. यह जानकारी आपको कैसा लगा, क्या यह  Bhagvan shiva की मूर्ति जो स्विटरजरलैंड के फिजिक्स लैब सर्न (CERN) के कैम्पस में रखा गया है, का जानकारी आपके लिए पर्याप्त है. और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।

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