कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज की जीवनी Biography of Kathak Emperor Pandit Birju Maharaj

नमस्कार दोस्तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पूरे विश्व भर में अपने शास्त्रीय नृत्य की जरिये पहचान बनाने वाले प्रसिद्ध कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज के बारे में बताएंगे. वे एक कथक नर्तक के आलवा लोकप्रिय शास्त्रीय गायक औऱ कंपोजर भी थे. बिरजू महाराज जन्म लखनऊ राजघराने में 4 फ़रवरी,1938 को हुआ था. और 17 जनवरी 2022 को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गया.उन्हें देश विदेश से कई सारे अवार्ड मिला था.उन्हों ने अपने शास्त्रीय नृत्य वँ कथक नर्तक के माध्यम से पूरी दुनिया में विख्यात थे.तो आइए जानते हैं pandit birju maharaj in hindi विस्तार से-

कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज की जीवनी Biography of Kathak Emperor PanditBirju MaharajPandit Birju Maharaj: photo


Pandit Birju Maharaj information in Hindi: भारत में एक कहावत प्रचिलित हैं कि ताल से ताल को घुंघरुओं के साथ मिला कर कथक नृत्य से तो हर कोई तालमेल बैठा कर लेता है लेकिन जब बात ताल के थाप और घुंघरुओं के झंकार की हो तो ,उसके लिए सिर्फ एक नाम निकल कर आता है- बिरजू महाराज का जिन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन को शास्त्रीय नृत्य वँ कथक कला तथा क्लासिकल डांस में लगा दिया।

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पंडित बिरजू महराज जी का जीवनी व जीवन के बारे में Pandit Birju Maharaj Biography in hindi

पंडित बिरजू महाराज का भारतीय शास्त्रीय नाट्य कला वँ कथक नर्तक के एक प्रसिद्ध कलाकार थे.17 जनवरी 2022 को बिरजु महराज का निधन दिल्ली में 83 वर्ष के उम्र में हुआ.उन्हों ने अपने जीवन काल मे कई बहुत ही सारी उपलब्धि हासिल किया.बिरजू महाराज जी शास्त्रीय गायक के साथ साथ एक लोकप्रिय कथक नर्तक भी थे। 

बिरजु महराज जी कई हिंदी फिल्मों में अपने संगीत के जरिये भी पहचान बनाया.उनका सम्बंध लखनऊ शहर के कालिका बिना बिंदादिन राजघराने के शास्त्रीय कथक नृत्य से है।बिरजू महाराज के पूरा राजपरिवार वंशज ही कथक कला नाटक से जुड़ा हुआ था. इनके दो चाचा जी शंभू महाराज ,लच्छू महाराज जी का सम्बंध वँ इनके पिताजी का सम्बंध औऱ लगाओ नृत्य से ही रहा है.

इन सभी के बावजूद भी पंडित जी का लगाव और प्रेम भारतीय शास्त्रीय संगीत पर बहुत ही अच्छा था. बिरजु जी बहुत ही बेहतरीन शास्त्रीय गायक थे.उन्होंने अपने जीवन में आयाम नृत्य अगर छोड़ दिया जाए तो कथक नृत्य को काफी ऊंचाइयों तक ले गए। वँ भारतीय संगीत का नाम पूरी दुनिया में रौशन किये. बिरजू महाराज जी ने कथक नृत्य के लिए कलाश्रम’ की स्थापना किये. तथा इन सब के आलवा पूरी विश्व का भृमण कर कथक नृत्य प्रेमियों के लिए सैकड़ों कार्यशाला का स्थापना किये।

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बिरजू महाराज का जन्म कब हुआ था

4 फरवरी 1938 ई. को उत्तरप्रदेश के लखनऊ शहर में बिरजू महाराज का जन्म हुआ था.बिरजू महाराज जी का पूरा नाम पंडित बृज मोहन मिश्र था. और उनके बचपन का नाम दुखहरन था. बिरजु पंडित जी के पिता जी नाम जगन्नाथ महाराज था वे भी एक लोकप्रिय कथकनृत्यका थे. नरतका श्री जगन्नाथ महाराज को लखनऊ शहर का अच्छन महाराज’ के नाम से जाना जाता था. उस समय वे रायगढ़ राजदरबार में नर्तक हुआ करते थे.

ऐसा कहा जाता है कि बिरजू महाराज जी का जन्म जिस अस्पताल में हुआ था. उस दिन उसी अस्पताल में बहुत सारी स्त्री जन्म हुआ था और यही कारण है कि उनका नाम बृजमोहन रखा गया.और यही नाम आगे चलकर बिरजू महाराज बन गया। बृजमोहन का बचपन वर्तमान समय के छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर तथा पंजाब के पटियाला में व्यतीत हुआ।

बिरजू महाराज का ट्रेनिंग Training of Pandit Birju Maharaj

बिरजू महाराज जी अपनी संगीत तथा नर्तक कला औऱ…. का प्रशिक्षण अपने पिता के भाई यानी की चाचा जी लच्छू महाराज वँ शंभू महाराज जी लिए। उन्होंने मात्र 7 वर्ष के आयु से ही अपना प्रथम गायन आरंभ कर दिया । 20 मई 1947 को जब उनके पिता जगगरनाथ जी का
देहांत हो गया तो और उनके सभी परिवार कुछ समय के बाद दिल्ली आ रहने लगे थे.तब से लेकर अभी तक वे और उनका परिवार दिल्ली में ही रहता है।

मात्र 16 साल की निम्न आयु में बिरजु महराज अपना पहला कार्यक्रम किया था और वही अपनी प्रस्तुति भी दिए थे.28 वर्ष का होते होते वे कथक कला में पूरी तरह से निपुणता हासिल की । औऱ यही लग्न और मेहनत ने उनको एक दिन संगीत नाटक अकादमी’ का पुरस्कार तक दिलवाया। उसी दौर में पण्डित जी का शास्त्रीय नृत्य कला में फ्यूजन से भी सामना हुआ. बिरजु महराज जी लुई बैंक के साथ मिलकर रोमियो तथा जूलियट कथा को भी कथक शैली में प्रस्तुत किये थे।

पंडित बिरजू महाराज को मिलने वाली प्रमुख पुरस्कार के नाम Pandit Birju Maharaj Many Awards 

बिरजू महाराज जी अपने जीवन में संगीत कला के क्षेत्र में कई विशिष्ट और प्रशंसा योग्य सम्मान अवार्ड को प्राप्त किया. उनमें से कुछ महत्वपूर्ण अवार्ड और पुरुस्कार के नाम नीचे दिए गए हैं-

वर्ष 1986 में राष्ट्रपति द्वारा पदम विभूषण पुरुस्कार मिला, इसके अलावा इसी साल संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान जैसे प्रमुख पुरुस्कार है.

बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय तथा खैरागढ़ विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गई.

संगीत गायन के क्षेत्र में साल 2002 ई. में लता मंगेशकर पुरस्कार दिया गया.

प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार 24 फरवरी 2000 ई. को दिया गया ।

हिंदी फिल्म विश्वरूपम 2012 के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का राष्ट्रीय अवार्ड से उन्हें नवाजा गया.

बाजीराव मस्तानी फिल्म 2016 के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म फेयर पुरस्कार मिला.pandit birju maharaj bajirao mastani

भरत मुनि सम्मान पुरुस्कार से सम्मानित किया गया.

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बिरजू महाराज का करियर Pandit Birju Maharaj Career

पंडित बिरजू महाराज 23 साल की उम्र दिल्ली में स्थित ‘संगीत भारती’ संस्था में नृत्य कला की शिक्षा को देना आरंभ किया था. और वही से वे भारतीय कला केंद्र में भी नृत्य को सिखाना आरंभ कर दिया था. उसके कुछ समय के पश्चात पंडित जी कथक केंद्र में भी शिक्षण कार्य को आरंभ कर दिया. जहा पर बिरजु महराज जी संकाय कला के अध्यक्ष और निदेशक थे .जिसके पश्चात वर्ष 1998 ई. में बिरजू महाराज रिटायर हो गए. उसके बाद दिल्ली में ही वे कलाश्रम नाट्य संस्था की स्थापना किये।

बिरजू महाराज का हिंदी फिल्मों से गहरी नाता Pandit Birju Maharaj’s association with hindi films

शायद इस बात का जानकारी आप को नहीं हो लेकिन हम आपको बता दें कि बिरजू महाराज और बॉलीवुड के कलाकारों से घनिष्ठ संबंध था. वे बॉलीवुड के कई सुपर हिट फिल्म में अपने संगीत का नृत्य प्रदर्शन तथा निर्देशन किये.बिरजू महाराज फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी, देवदास ,डेढ़ इश्किया, बाजीराव मस्तानी ,उमराव जान ,दिल तो पागल है, ग़दर एक प्रेम कथा जैसे अनेको हिंदी फिल्मों के गाने वँ उनके संगीत को गया है और रचना निर्देशन भी किये थे.

पंडित बिरजु महाराज विभिन्न कलाओं में निपुण थे

बिरजू महाराज मालती माधव,वाद्य वायलिन,माखन चोरी स्वरमंडल, तबला, कुमारसंभव,पखावज,सिताड़,गोवर्धन
लीला आदि जैसी अनेक प्रकार के नृत्य वालियों वँ कला जैसी कई अन्य सुरों का भी उन्हें गहरा ज्ञान हासिल था। उन्होंने भारत के आलवा अमेरिका यूरोप जैसे देशों मे भी सैकड़ों हजारों संगीत कला आदि का प्रस्तुति दिए औऱ अपनी प्रख्यात हासील की।

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पूछे जाने वाले प्रश्न:-

पंडित बिरजू महाराज सम्बन्धित है। pandit birju maharaj ka sambandh hai

बिरजु महराज जी का सम्बंध भारतीय शास्त्रीय नृत्य  ‘कत्थक’ कला से था. इसके अलावा वे संगीत निर्देशन, गुरु, गायक, कोरियोग्राफर तथा बहुत ही अच्छे तालवाद्य भी बजा लेते थे. उन्होंने कविताओं आदि को लिखने औऱ
चित्रकारी में भी शौक रखते थे.

बिरजू महाराज को सबसे पहली बार पुरुस्कार किनके साथ नाचते हुय मिला था.

बिरजू महाराज को सबसे पहली बार पुरुस्कार अपने पिता अच्छन महाराज और चाचा शंभू महाराज के साथ नाचते हुए मिला था.

●बिरजु महराज के शिष्य कौन थे.

बिरजु महराज के शिष्य उनके जीजा सुंदरलाल जी थी.

●बिरजु महराज बचपन में अपना जज किसे मानते थे.

शास्त्रीय नृत्य कलाकार पंडित बिरजु महराज अपने माता जी को ही अपना सबसे बड़ा जज मानते थे.

●pandit birju maharaj ka janam kahan hua

बिरजु महराज का जन्म लखनऊ उत्तरप्रदेश राज्य में हुआ था।

●pandit birju maharaj ka janam kab hua

बिरजु महराज का जन्म लखनऊ उत्तरप्रदेश राज्य में 4 फरवरी 1938 को हुआ था.

●पंडित बिरजू महाराज के गुरु कौन थे

बिरजु महाराज के गुरु उनके पिता वँ अच्छन महाराज, तथा चाचा शंभू महाराज, और लच्छू महाराज जी थे.

●pandit birju maharaj age

– बिरजू महाराज 83 साल के उम्र में अंतिम सांस ली.

●पंडित बिरजू महाराज की मृत्यु कब हुई । pandit birju maharaj death

बिरजु महराज का देहांत 7 जनवरी 2022 को दिल्ली में हार्ट अटैक से हुआ.

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