Tarapith Mandir In Hindi : तारापीठ मंदिर 51 शक्तिपीठों में से पश्चिम बंगाल का एक प्राचीन हिंदू मंदिर है पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 264 km दूर बीरभूम जिले में द्वारका नदी के किनारे है. माँ दुर्गा को समर्पित यह शक्तिपीठ मंदिर हिंदुओं धर्म का प्रमुख धार्मिक स्थल है.यह असम के कामख्या मंदिर की तरह ही तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध मंदिर है. जहां देश दुनिया से लाखों लोग दर्शन के लिए आते रहते हैं. हिंदू धर्म के पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ माता सती का नेत्र का तार गिरा था .जिस कारण इस मंदिर को नयन तारा मंदिर औऱ तारापीठ मंदिर कहते हैं.
हिन्दू धर्म ग्रन्थ में उल्लेखित मा आदिशक्ति के एक शक्ति पीठ के विषय में बताने जा रहा हूँ. वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म के भगवद पुराण में शक्तिपीठ की कुल संख्या 108 शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में 52 तथा कालिकापुराण में 26 शक्तिपीठ की संख्या बताई गई हैं लेकिन मुख्यतः 51 शक्तिपीठों की ही सही सही औऱ स्पष्ट जानकारी उपलब्ध हैं। इसलिए आज इन्ही में से एक तारापीठ शक्तिपीठ मंदिर के विषय में जानेंगे.
मां तारापीठ मंदिर कोलकाता की कहानी ( Shaktipith Maa Tarapith Mandir Story In Hindi)
Tarapith Mandir शिव पुराण वं अन्य धर्म ग्रन्थों के अनुसार,जब माता सती ने पिता दक्ष प्रजापति के द्वारा भगवान शिव के अपमान होने पर दक्ष प्रजापति दक्ष के यहां हो रहे, यज्ञ के बनी अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राण त्याग दिया । तब भगवान शिव शंकर अत्यंत ही क्रोधित हो गए और माता सती के के मृत शरीर को कंधे पर लेकर महादेव महातांडव का नृत्य करने लगे ,अपना दायित्व भूल यू ही महा तांडव नृत्य करते रह गए थे जिससे सम्पूर्ण ब्रह्मांड , पृथ्वी , आकाश ,पाताल सब विनाश की ओर अग्रसर हो गए।
तब भगवान ब्रह्मा के निवेदन पर भगवान नारायण स्वयं ब्रह्मांड को बचाने के माता सती के मृत शरीर को अपने चक्र से टुकड़ों में खंडित कर दिया.जिसके बाद मान्यता अनुसार- माता सती के शरीर के कई अलग अलग टुकड़े हो गए और वही शरीर के अंग जहां जहा पृथ्वी पर गिरे वही स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाना गया। ये शक्तिपीठ पूरे भारतवर्ष समेत मौजूदा कई दूसरे देशों में भी फैले हैं. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं.
नयन तारा मंदिर वीरभूम के बारे में ( Temple Of Maa Tarapith veerbhum )
(तारापीठ मंदिर बंगाल) वर्तमान समय में अधिकांश शक्तिपीठ भारत में ही स्थित है, इन 51 शक्तिपीठों में से 5 शक्तिपीठ तो पश्चिम बंगाल के एक ही जिला बीरभूम में स्थित है .इनके नाम कुछ इस प्रकार है- बकुरेश्वर शक्तिपीठ, नालहाटी शक्तिपीठ, बन्दीकेश्वरी शक्तिपीठ , फुलोरा देवी शक्तिपीठ स्थित हैं. इन पांचों शक्तिपीठ में से तारापीठ शक्तिपीठ सबसे प्रमुख वं प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल तथा सिद्धपीठ हैं.
भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के वीरभूम जिला में ही राम पुरहाट से करीब 8 km की दूरी पर द्वारका नदी के तट पर माता तारा का प्रसिद्ध ऐतिहासिक सिद्धपीठ भी मौजूद है. हिन्दू धर्म के पौराणिक कथाओं के मान्यता अनुसार यह सिद्धपीठ पर माता सती के दाहिनी आंख ( नयन) की पुतली का तारा गिरा था.जिस कारण से इस माँ के प्रमुख धार्मिक स्थल को नयनतारा भी कहा जाता हैं। और यहीं कारण है कि माँ दुर्गा के इस शक्तिपीठ मंदिर का नाम तारापीठ पड़ा था. और इसी नाम से यहां के इस पावन भूमि को तारापीठ कहा जाने लगा.।
तारापीठ मंदिर का इतिहास और रहस्य – Tarapith Mandir History In Hindi
( तारापीठ मंदिर का रहस्य-)तारापीठ मंदिर के इतिहास को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जब ऋषि वशिष्ठ तांत्रिक विधा कला में जब महारत हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे और हर वे प्रयास में विफल हो जा रहे थे. जिसके बाद वे भगवान बुद्ध के कहने पर तारापीठ में तंत्र विद्या का अभ्यास किए थे,और वही पर उन्होंने माँ तारा देवी का पूजा अर्चना कर रहे थे.
तभी माँ तारा देवी प्रसन्नं हो कर ऋषि वशिष्ठ को दर्शन दी। औऱ भी देवी पत्थर में परिवर्तित हो गई।और ऐसा कहा जाता है कि उसी दिन से उस स्थान पर माँ तारा देवी का पूजा अर्चना होने लगा.तारापीठ मंदिर को बाम खेपा नाम के पागल संत के लिए भी जाना जाता है, जिनकी पूजा मंदिर में की जाती है। बाम खेपा ने अपना जीवन मां तारा की पूजा में समर्पित कर दिया था। बाम खेपा का आश्रम भी मंदिर के पास स्थित है।
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तारापीठ मंदिर कब जाएं औऱ कैसे जाएं. – How to reach Tarapith Temple in hindi
वैसे तो तारापीठ आने वाले मा दुर्गा के भक्त सालों भर लाखो की संख्या में आते हैं लेकिन लोगो की यहां पर भीड़ बहुत अधिक संख्या में साल में पड़ने वाले दो नवरात्र के अवसर पर आते हैं। और शारदीय नवरात्रि में यह संख्या ओर भी ज्यादा हो जाता हैं। चैत्र नवरात्र औऱ शारदिय नवरात्र के अष्टमी तिथि के दिन मां तारा की पूरे दिन में तीन बार महाआरती होती है,
जबकि यह आरती बाकी के पूरे साल दिन में सिर्फ दो बार ही होती है.यहां के नियम अनुसार विजया दशमी के दो दिन बाद त्रयोदशी तिथि के दिन मां तारा को गर्भ गृह से बाहर विधि पूर्वक मंदिर परिसर से बाहर लाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती हैं. इस शक्तिपीठ मंदिर को लेकर एक और भी मान्यता है कि जो भी मां तारा मंदिर में जाकर मन औऱ इच्छा से माता की आराधना वं पूजा करने से लोगों को हर कष्ठ दायिक बीमारी से मुक्ति मिलती है.
सिद्ध पुरुष महान संत वामाखेपा कौन थे और उनकी कहानी
तारापीठ माँ सती के शक्तिपीठ होने के आलवा भी कई सारे चीजो के महत्वपूर्ण औऱ प्रसिद्ध स्थान है।तारापीठ को भारत का साधना केंद्र भी कहा जाता है और इस की वजह से यहां हमेशा हजारों लाखों अघोरी , साधु-संत श्रद्धा के साथ यहां पर अपना विधि पूर्वक साधना-तंत्र भी करते हैं. इसके अलावा तारापीठ शक्ति पीठ तीर्थ स्थल की एक और बहुत बड़ी अहमियत हैं यहां का महा श्मशान घाट है जो तारापीठ मंदिर से थोड़ा ही दूर पर ब्रह्माक्षी नदी के तट पर स्थित हैं.
महा श्मशान घाट में वामाखेपा नामक साधु औऱ उनके शिष्य तारा खेपा की साधना स्थल हैं. इन्हीं महान सन्तो दो साधना स्थल होने के चलते चलते ही तारापीठ स्थान को सिद्धपीठ के रूप में जाना गया हैं. यहां से जुडी एक ऐसी मान्यता है कि वामाखेपा संत यहां स्थित मां तारा को अपने हाथों से भोग खिलाते थे. जिस कारण से यहां पर इस महान संत की याद में एक मंदिर का निर्माण किया गया है. कुछ लोग इस महान संत को तारापीठ का पागल संत के नाम से भी पुकारते हैं और जानते भी हैं.
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तारापीठ मंदिर कहा स्थित है। – Tarapith Mandir kaha hai
तारापीठ मंदिर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के वीरभूम जिले में स्थित है। वीरभूम जिले में ही मा सती की 4 और शक्तिपीठ मौजूद हैं । यह जिला हिंदुओ का प्रमुख धार्मिक जिला है, क्योंकि यहां पर हिन्दुओं के 51 शक्तिपीठों में से पांच शक्ति पीठ तो इस वीरभूमि जिले में ही स्थित हैं।
इसके अलावा मा तारा देवी का अन्य मंदिर भो स्थित हैं जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित शोघी में है। माता तारा देवी को समर्पित यह मंदिर, तारा पर्वत पर बना हुआ है। जहां पर माँ भगवती तारा देवी के तीन स्वरूप हैं:- तारा, एकजटा तथा नील सरस्वती।
तारापीठ मंदिर में मनाये जाने वाले उत्सव और पूजा – Festivals And Poojas At Tarapith Temple In Hindi
नयन तारा देवी मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सव और पूजा जनवरी माह में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति का मेला है.फरवरी में मनाए जाने वाले डोला पूर्णिमा हैं, अप्रैल माह में मनाए जाने वाले बसंतिका पर्व, गाम पर्व, का आयोजन किया जाता हैं.अमावस्या को मनाए जाने वाले पर्व में देवी को बकरे की मांश, मछली चढ़ाई जाती हैं,
तारापीठ मंदिर पश्चिम बंगाल खुलने और बंद होने का समय – Tarapith Mandir Timings In Hindi
तारापीठ मंदिर दर्शन का समय और खुलने का समय सुबह 6:00 बजे और बंद होने का समय रात्रि 9:00 बजे हैं।
तारापीठ मंदिर कैसे जाये – How To Reach Tarapith Temple In Hindi
तारापीठ मंदिर आप सड़क मार्ग, रेलवे और हवाई मार्ग मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे छोटा मार्ग बीरभूम से स्टेट हाइवे 13 से होकर जाता है
फ्लाइट से तारापीठ कैसे पहुंचे –
फ्लाइट से तारापीठ तारापीठ मंदिर पहुचने के लिए आप को कोलकाता हवाई अड्डा आना होगा।कोलकाता हवाई अड्डा से तारापीठ मंदिर लगभग 200 किमी की दुर हैं।
तारापीठ ट्रेन से कैसे पहुँचे –
रामपुर हाट रेलवे स्टेशन तारापीठ मंदिर के सबसे करीब का रेलवे स्टेशन हैं रामपुर हाट रेलवे स्टेशन से तारापीठ की दूरी 150 किमी हैं।
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Conclusion:- आज का यह लेख पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक तारापीठ मंदिर/ नयन तारा देवी मंदिर के बारे में है तारा देवी कैसे जाए, तारा देवी कहा है, माँ तारा देवी का रहस्य का यह जानकारी आपको कैसा लगा। क्या यह Tarapith Mandir In Hindi यह जानकारी आपके लिए पर्याप्त है.और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।
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