Sri Krishna Kavita: भगवान की भक्ति हर कोई करता है.भगवान की भक्ति मात्र से ही संसार भर की हर दुःख पीड़ा मिट जाते हैं.प्रभु नारायण के साथ रहने से तो हमारे जीवन के सब मार्ग ही खुल जाते हैं. आज हम इन्हीं सब चीजों को लेकर भक्त और भगवान की सुंदर सवांद पर कृष्ण पर कविता | कान्हा पर कविता | मुरली वाले मोहन पर बाल कविताएं लाएं हैं.आज की इन सभी कृष्ण कविताओं पर भक्त उनसे कुछ कहता है तो वही एक कविता कंस की वध पर
कवि भक्त द्वारा भगवान श्रीकृष्ण जी कैसे मनाता हैं इस पर Sri Krishna ji Par Hindi Poem |तुझसे नराज नहीं हे मुरारी| Tujhse Naraj Nahi He Murari Kavita| हैं चाह तुम्हें पाने की कान्हा|Hai Chah Tumhe Pane ki Kanha |कंस वध पर कविता| Kans Vadh Par Kavita को पढ़ें।
तुझसे नराज नहीं हे मुरारी कविता Sri Krishna पर -Tujhse Naraj Nahi He Murari Hindi Kavita
तुझसे नाराज नही हे मुरारी हैरान हूं मैं
भक्त से है भगवान जो रूठा…….
दूर कहि छुप कर है जो तू बैठा
न जानें क्यों ,ऐसा क्यों
इससे परेशान हु मैं हैरान हूं मैं।।।
तुझसे नाराज नही हे गोपाला
ओ हैरान हूँ मैं………..
तेरे मासूम हरकतों से परेशान हूँ मैं
ऐसी क्या भूल हुई
जो सजा तुम दिए चले।।।
भक्त औऱ भगवान के रिश्ता को यू
तोड़ तुम मुझे अकेले चला…..
ढूंढा तब मैं वहाँ यहां न जाने कहा
नयन बिछाय आस लगाए
पड़ा अकेला मैं यहां राह निहारा।।।
न मिला तू तब हे कान्हा कहि
जाने इस संसार में तू छुपा कहा
जीवन की हर सुख चैन छीन….
रूठ कर है तू कहा दूर अकेला बैठा
तुझसे नाराज नही हे मुरारी हैरान हूं मैं।।।
ज़िंदगी की तल्ख़ियाँ अब कौन सी मंज़िला पाए
तेरी राह की छांह में न जानें……
कितने हिस्सों में बंट गया हूँ मै
जिंदगी के इस कालकोठरी में
और क्या जुर्म है पता ही नही।।।
बरस दो बसर से अधिक हुई बिछड़न
ज़िंदगी मौत वं मंज़िल की उम्मीद में अभी पड़ी
लक्ष्य पाने को न जाने हमें…..
दर्द औऱ कितने संभालने होंगे
तुझसे नाराज नही हे मुरारी हैरान हु मैं।।।
जीने के लिए जब भी मैं सोंचु कन्हैया
वर्तमान स्थिति को देख आंख भर आती
जिंदगी के इस गम में हमें……
होठों से जब चाहू मुस्कुराना
तो गैरो की कर्ज नजर आ जाती हैं।।।
हे श्री कृष्ण गोपाला माधव हरि आनंदा
हुई जो भूल त्रुटि हमसें
कर क्षमा तू हे कान्हा मुझे अपना
आंखे तरस गयी ,नयनों से बूंदे बरस गयी
जीवन की उम्मीद में………
काएनात में सय्यारों में भटकता
धुएँ के धूल में उलझी हुई किरन की तरह
चरणो में दे स्थान आँखों से थाम लो मुझको
तुम्हारी दया दृष्टि में फिर से पनाह मिले
यही है मेरी जीवन की कल्पना।।।
मन को ढाढस बंधाये हुए
नयनों से नवजीवन की आशा लगाए हुए
है मेरी कान्हा तुझसे विनती
कर मुझे सफल……..
भक्त औऱ भगवान की रिश्ता फिर बना।।।
तुझसे नाराज नही हे मुरारी हैरान हूं मैं
भक्त से है भगवान जो रूठा…….
दूर कहि छुप कर है जो तू बैठा
न जानें क्यों ,ऐसा क्यों
इससे परेशान हु मैं हैरान हूं मैं।।।
तुझसे नराज नहीं हे मुरारी हैरान हूं मैं!
चाह तुम्हें पाने की कान्हा Sri Krishna ji पर हिंदी कविता | Hai Chah Tumhe Pane ki Kanha Poem Hindi me
है चाह तुमको पाने की कान्हा
तुम्हीं चराचर हो सर्वव्यापी।
जगत नियंता जगदीश्वर तुम
राधा के कन्हैया मोहन मुरारी।
नैनों में तुम्हारे प्रेम का सागर
मेरे हृदय में है लहरे उठाएं।
भाव है मेरा तुम्हें ही पाना
अपना ठिकाना हमे बताये।
न द्वारिका के गलियों में हो तुम
न गोकुल के ग्वालों से है तुम मिलते।
न तुम धर में न तुम गगन में
भुवन में न जाने किस पार हो रहते।
न तुम इधर हो न तुम उधर हो
न जाने अब तुम किधर श्रीधर हो।
है मेरे मन का भाव मोहन
मेरे मन का भाव मोहन
तुम इस निसर्ग में सर्वेश्वर हो।
आ जाओ मेरे धरा पे कान्हा
बिन अब तुम भक्त तरसते।
सौभाग्य मेरी तुम्हीं हो गिरिधर
मनोकामना मेरी सब पूरी करते।
फंसा हु जब जब कठिन भवँर में
मेरे दुःख को हो तुम्ही हरते।
हो मेरे दिल की मित मोहन
मेरे हृदय तुम्ही हो बसते।
है चाह तुम्हें पाने की कान्हा
तुम्ही चराचर हो सर्वव्यापी।
जगत नियंता जगदीश्वर तुम
राधा के कन्हैया मोहन मुरारी।
राधा कृष्ण के प्रेम पर कविता सौम्यरस Radha Krishna Poem In Hindi
आरे बादल काले बादल
प्रेम प्रीत सावन तो ले आये
गरज गरज ठुमक ठुमक जल वर्षाए
पर मैं बिन राधा कैसे मधुबन को भींगाये
नैन करे पुकार, क्यों है हमें तू तरसाये
आधे सावन गयो हैं बीत पर राधा गोपी संग न है आए
कदम डाल पर बैठ हम झूल रहे हैं झूला
बजे बंसी स्वर मधुर का प्रेम अमृत बरसाए
वन वन तुलसी चंदन सा हवाएं महकाएं
बदरा कारे देख मोर पपीहा पंख हैं फैलाए
कोयली सुगा बैठ रूनी उन्हें है झुठलाए
जिसे देख मितवा याद है तेरी आये
न जाने तेरे प्रतीक्षा में कितने रैन गवाएं
गम के का रे बदरा घिरे घिरे है आए
तोड़कर सारी बंधन बस तुझी में तो है समाए
नैनन से नीर बहे तेरे दर्शन को मन भएए
तू सुन पवन में घुली जो मेरी स्वर
अब बस आ भी जाओ तुझे पाने को तरस जाए
बन जाओ मेरे जीवन की सौम्यरस
बहा दु उसमें तेरे मेरे प्रेम की सरिता
जहां प्रेम प्रीत के मधुबन में दोनों भींगाये।।
कंस वध पर कविता| Kans Vadh Par Kavita Hindi me
बधाई आज कंस बध दिन की मुक्ति दिवस संताप हरण की।
सिंहासन उग्रसेन अभिषेक की,पूत कृष्ण माँ पित मिलन की।
कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी की,सर्वथ सिद्धि योग दिवस की।
कालनेपि श्राप मुक्त दिन की,प्रहलाद पौत्र मोक्ष दिवस की।
दास बन ज्ञान गुहा की प्राप्ति की,धर्म सत्य पथ अनुसरण की।
इंद्र छल प्रह्लाद स्मिर्ति की,बन सेवक धर्म दान प्राप्ति की।
राज्यहीन पाताल गमन की,तब पौत्र कालनेधि क्रोध की।
कठोर ब्रह्मा तप कालनेमि की,वर दिव्यास्त्र विधा पाने की।
वसुर पा अभिमानी असुर की,सन्त सत्तावन दुष्ट राक्षस की।
दुर्वासा ऋषि क्रोध श्राप की,पुनि पुनि जन्म योनि असुर की।
भयंकर देव असुर संग्राम की,तब विष्णु कालनेमि हनन की।
सत्यकेतु पुत्री पवनरेख की, दरामिला गन्धर्व के मोहन की।
द्रमिला पवनरेख प्रणय की,कहानी असुर पुत्र जन्म की।
पवनरेख असुर विवाह की,मथुरा राज महारानी बनने की।
ऋषि श्राप वश पुनर्जन्म की,कंस रूप धरि असुर शरीर की।
माँ कैकई के बलिदान की,प्रभु वर द्वापर पुत्र गर्भान की।
कैकई पुनर्जन्म देवकी की,कृष्ण अवतार धरि पूत देवकी की।
कंस निर्वाण श्राप मुक्ति की,भक्त पहलाद वचन निर्वाह की।
सुनत मंगलदायनी कथा की,नर करें प्राप्ति धनधान्य की।
बधाई आज कंस बध दिन की मुक्ति दिवस संताप हरण की।
✍️-ठाकुर आशुतोष सिंह “विक्की”
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Conclusion:- श्रीकृष्ण जी कविता | कन्हैया पर कविता | भक्त औऱ भगवान से सम्बंधित कविता ,तुझसे नाराज नही हे मुरारी, हैं चाह तुम्हें पाने की कृष्ण कविता,कंस वध पर कविता आपको कैसा लगा, क्या यह का बाल कृष्ण पर Sri Krishna Kavita आपको पंसद आया. और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार हैं।
और कविता पढ़ें- महाभारत सूर्य पुत्र महादानी कर्ण पर कविता-
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