रणकपुर जैन मंदिर की इतिहास और विशेषता | Ranakpur Jain Temple

Ranakpur Jain Temple  In Hindi: आज हम आपको भारत के 5 प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में से एक  600 साल प्राचीन रणकपुर जैन मंदिर के बारे में जानेंगे. यह मंदिर राजस्थान के अरावली पर्वतमाला की ख़ूबसुन्दर घाटियों के मध्य में स्थित हैं.जिसकी वस्तुकला  सरंचना इसकी खूबसूरती को बढ़ाता है.रणकपुर के इस जैन मंदिर में भगवान ऋषभदेवजी का चतुर्मुखी मूर्ति स्थापित हैं. तो आइये इस मंदिर खूबसूरत ऐतिहासिक  प्रसिद्ध रणकपुर जैन मंदिर के विषय में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े –

रणकपुर जैन मंदिर का परिचय वँ जानकारी – Introduction and information of Ranakpur Jain Temple  In Hindi

रणकपुर जैन मंदिर की इतिहास और विशेषता | Ranakpur Jain Temple


Ranakpur Jain Temple History In Hindi :- रणकपुर जैन मन्दिर राजस्थान के अरावली पर्वतमाला के मध्य में उदयपुर जिले से करीब 100 km दूर स्थित हैं. इस मंदिर के चारों तरफ ख़ूबसुन्दर हरियाली जंगलों से घिरा हुआ है.जंगल वँ पर्वतों के मध्य में होने के कारण यह एक विशाल मंदिर की भव्यता अपने मे ही देखते ही बनती हैं भारत में जितने भी जैन मंदिर वर्तमान समय में मौजूद हैं .

उन सभी जैन मंदिरों में रणकपुर टेम्पल की भव्यता वँ सुंदरता सबसे अधिक है. राजस्‍थान राज्य के उदयपुर जिले में स्थित रणकपुर टेम्पल जैन धर्म के 5 प्रमुख तीर्थ स्‍थलों में से एक है। इस जैन मंदिर की खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन सभी जैन मंदिरों में अनोखी हैं।यह मंदिर भारत के सबसे बड़े जैन मंदिर है.रणकपुर के इस मंदिर में भगवान ऋषभदेव का चतुर्मुखी मूर्ति स्थापित है। 

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रणकपुर जैन मंदिर का विशेषता- Features of Ranakpur Jain Mandir In Hindi

रणकपुर जैन मन्दिर का सबसे बड़ी यह विशेषता है कि यह मंदिर एक जंगल और पर्वतमाला के मध्य करीब  40,000 वर्गफीट में बनी हुई है। जिसमें 4 कलात्मक प्रवेश द्वार हैं.इस मंदिर के गर्भ गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की 4 प्रतिमा स्थापित है.जो संगमरमर की पत्थर की से बनी हुई और जिसकी ऊंचाई 72 इंच हैं.जो 4 अलग अलग दिशाओं में स्थापित होने के कारण इसे चतुर्मुख मंदिर’ भी कहा जाता है। 

इन सब के आलवा इस प्रसिद्ध मंदिर में 76 छोटे बड़े गुम्बदकार पवित्र स्थान,4 प्रार्थना कक्ष औऱ 4 पूजन घर है।जो मनुष्य को 84 योनियों से भटकने से मुक्ति की ओर आकर्षित करता है। रणकपुर जैन मन्दिर का दूसरी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर के निर्माण में 1444 छोटे बड़े खम्भों का प्रयोग किया गया है लेकिन इसके बावजूद आप मंदिर के किसी भी कोने से खड़े होकर आप आसानी से मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति का दर्शन वँ पूजन कर सकते है।

मंदिर में लगयी सभी खँम्भो पर ख़ूबसुन्दर नक्काशी की गई है जो देखते ही बनता हैं इसके अलावा आपको मंदिर के छतों वँ दिवलो पर वास्तु कला वँ ख़ूबसुन्दर नक्काशी देखने को मिलता है। यह मंदिर दो मंजिला हैं जिसमें भविष्य को देखते हुए मूर्तियों को आक्रांता ,लुटरों को ध्यान में रखते हुए कई सारी तहखाने भी बनाई गई हैं।

मंदिर की तीसरी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर के प्रत्येक भाग में लगे हुए पत्थरों पर बड़ी ही लग्न वँ कुशलता से ऐसी कारीगिरी तथा नक्काशीदार किया गया है कि यहां आने वाले सैलानी देख चकित रह जाते हैं। इन सब के आलवा भी मंदिर के कक्ष में लगे हुए सभी संगमरमर के पत्थरों पर भगवान ऋषभदेव के पदचिह्न को लगाया गया हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं।

रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ- When and how Ranakpur Jain Mandir was built In Hindi

रणकपुर जैन मन्दिर का निर्माण कार्य आज से तकरीबन 600 साल पहले सन विक्रम संवत 1476 में शुरू हुआ था और लगातार 50 वर्षो तक चली निर्माण कार्य के बाद वर्ष 1526 में बनकर तैयार हुआ था। मंदिर के समिति का ऐसा कहना है कि तब इसके निर्माण में 99 लाख रुपये खर्च किया गया था।

रणकपुर जैन मन्दिर निर्माण से जुडी एक कथा प्रचलित है कि धरन शाह जी सपने में एकबार नलिनीगुल्मा विमान’ के दर्शन हुए, जो पवित्र विमानों में सर्वाधिक सुंदर माना जाता है. इसी विमान की तर्ज पर धरन शाह ने मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। 

और वे अपने बाकी अन्य 4 भक्त–आचार्य श्यामसुंदरजी  धरन शाह, कुंभा राणा तथा देपा ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण कराया था। इन 4 भक्तों में आचार्य सोमसुंदर एक धार्मिक नेता थे जबकि कुंभा राणा मलगढ़ के राजा तथा धरन शाह उनके मंत्री थे। जो धरन शाह के बातों से प्रेरित होकर बाकी के अन्य भक्तो ने ऋषभदेव का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया था। 

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मंदिर के आसपास- Around Ranakpur jain Temple In Hindi

रणकपुर जैन मन्दिर के आसपास भी कई ऐतिहासिक धरोहर ,किले ,महल,झील तथा मंदिर स्थित हैं उनमें से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध नेमीनाथ और पार्श्वनाथ को समर्पित 2 मंदिर हैं .जो की पूरी तरह से विश्व धरोहर में शामिल मंदिर खजुराहो की मंदिर के सम्मान दिखता है.जिसके दीवालों पर योद्धाओं और घोड़ों के चित्र उकेरे गए हैं।

तथा इन सब के आलवा भी यहां पावापुरी सिरोही, संघवी भेरूतारक तीर्थ धाम, अम्बा माता मंदिर,माउंट आबू हिल स्टेशन, दिलवाड़ा का विख्यात जैन मंदिर भी हैं.जहां आसानी से पहुंचा जा सकत‍ा है।

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