काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)का इतिहास, अवैध तरीके से बने मस्जिद विवाद को जानें…

क्या आप Kashi Vishwanath Temple जिसे हिन्दू धर्म वाले विशेश्वर मंदिर भी कहते है, उसका इतिहास वँ विवाद को जानते हैं. वैसे यह तो आप जानते हैं कि हमारे देश पर विदेशी लुटेरों वँ आक्रमणकारियों ने वर्षो तक राज्य किया। पर यह बात हमारे देश के दोगले इतिहासकार नही बताया या छुपाया कि सारे विदेशी मुस्लिम शाषक ने अपने शासन काल के अवधि में कितने हिन्दुओ को मारा ,तलवार के भय दिखा धर्म- परिवर्तन कराया औऱ उनके पूजा स्थलों मंदिरों को लुटा ततपश्चात उसे तोड़ दिया।यहां तक कि कई मंदिरों के ऊपर ही मस्जिद तक बनवा डाला। 

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)का इतिहास, अवैध तरीके से बने मस्जिद विवाद को जानें...
काशी विश्वनाथ मंदिर फ़ोटो

जैसे –अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि स्थल,मथुरा में भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थल को तोड़ वहां ईदगाह ,मस्जिद बनवा दिया,ठीक उसी प्रकार बनारस में भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ वहां पर एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया। तो आइए जानते हैं विस्तार से काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग मंदिर वं ज्ञानवापी मस्जिद विवाद औऱ हिस्ट्री ऑफ़ काशी विश्वनाथ मंदिर

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क्या है श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद Sri Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Masjid Controversy

Kashi Vishwanath Temple Banaras :- सनातन धर्म /हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों को वँ उनके इतिहासकारों का कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इस नगर को भगवान शिव ने ही स्थपित किया था. यह स्थान भगवान शिव को अतिप्रिय हैं और यह बात लाखो वर्ष पूर्व लिखे गए पुराणों में भी उल्लेखित हैं. इसलिए यह स्थान हिंदुओं की आस्था के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है.

जिसे एक नही बल्कि कई बार मुस्लिम आक्रांताओ ने इसे तोड़ दिया। हिन्दू धर्म के लोगो ने यह साक्ष्य भी रखें है. जिसमे पूरे विस्तार से इस मंदिर को तोड जाने का आदेश वँ जिक्र हैं. मौजूदा लिखित प्रमाण वँ साक्ष्य के अनुसार क्रूर मुगल आक्रांता क्रूर औरंगजेब हिन्दुओ से काफी घृणा करता था. इसलिये उसने अपने शासन के समय भारतवर्ष के कई मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया,उसी समय में क्रूर

औरंगजेब को यह जानकारी प्राप्त हुआ कि काशी में कुछ ब्राह्मण संस्कृत वँ विज्ञान जैसे पुस्तको को अपने पाठशाला में छात्रों को पढ़ता हैं वँ सभी मंदिरों में पूजा अर्चना करने भी जाते हैं.जिसके बाद उसने मूर्ति पूजा को बंद करने वँ तोड़ने का आदेश दिया। जिसमें से एक है, बनारस के काशी विश्वनाथ टेंपल

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ऐसा एक लिखित प्रमाण है जिसमे आक्रांता औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को एक आदेश जारी किया जिसके तहत काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया.औऱ उसने काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण कर ध्वस्त कर दिया. यह आदेश आज भी कोलकाता के एशियाटिक लाइब्रेरी में सुरक्षित है। जो मूल रूप से फारसी में लिखा गया था. उस आदेश के तहत सभी तरह के मूर्ति पूजा संबंधित शास्त्रों का पठन-पाठन और मूर्ति पूजन भी बंद करा दें.

इसके अलावा तत्कालीन समय के एक लेखक साकी मुस्तइद खाँ के लिखित पुस्तक ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस हिन्दू मंदिर को मुगल औरंगजेब द्वारा तोड़वाने का का वर्णन है। इस पुस्तक के अनुसार 2 सितंबर 1669 को क्रूर औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना भी दी गई थी। यानी एक ऐतिहासिक दस्तावेज खुद इस बात की पुष्टि करता है कि क्रूर औरंगजेब द्वारा ही काशी विश्वनाथ मंदिर Kashi Vishwanath Temple kashi को तोड़ दिया गया और उस स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया।

वहां जाने के बाद यह आपको स्प्ष्ट रूप से दिखेगा कि मस्जिद के जो दीवार आज भी खड़ी है उसमें हिन्दू देवी देवताओं की छोटी छोटी कला में आकृति बनी हुई हैं, इसके अलावा वहां आपको एक औऱ चीज देखने को मिलेंगे,नंदी प्रतिमा का मुख उल्टा यानी नंदी प्रतिमा का मुख भगवान शिव के लिंग की तरफ नही है बल्कि गलत तरीके से बनी ज्ञानवापी मस्जिद की ओर हैं. हिन्दू शिव पुराणों में यह लिखित हैं कि भगवान शिव के शिवलिंग की तरफ ही नंदी प्रतिमा का मुख होगा। इसके अलावा आप देश मे बनी अन्य शिवलिंग मंदिर में भी देख सकते हैं।

मंदिर पर पहली आक्रमण कब और किसने

इतिहासकारों का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर पर तो कुल 5 बार आक्रमण हुआ। जिसमें सबसे पहले 11वीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने हमला। जिस दौरान मंदिर की शिखर ध्वस्त हो गई थी, उसके बाद शर्की सुल्तानों की फौज ने 14वी सदी में आक्रमण कर तोड़वा दिया था। जिसके बाद सन 1585 में राजा टोडरमल ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण वँ जीणोद्धार किसने करवाया। Who built the Kashi Vishwanath Temple?

मालवा यानी वर्तमान इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777-80 में मस्जिद के बगल में ही मौजूदा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का मंदिर का निर्माण करवाया जिसमे पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया तथा महाराजा नेपाल ने वहाँ विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। आपको यह बताते चलें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में 1000 kg शुद्ध सोना लगा हुआ है।

1752-80  के मध्य हिंदुओ ने मंदिर को मुक्त कराने की थी कोशिश इतिहासकारों के अनुसार मुगल शासक जब भारतवर्ष में कमजोर पड़ गए, हिन्दू शासक के सामने तब वर्ष 1752 से 1780 के मध्य मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया तथा मल्हार राव होल्कर ने विश्वनाथ मंदिर को मुक्त कराने की कोशिश की. इसके अलावा वर्ष 1770 को मराठा शासक महादजी सिंधिया ने मुगल शासक शाह आलम द्वितिय से मंदिर की क्षतिपूर्ति वसूलने का आदेश भी जारी कर दिये थे .लेकिन, तब तक बनारस पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया. इस तरह मंदिर का पुनर-निर्माण भी रुक गया.

जिसके बाद काशी के आक्रोशित हिन्दुओं ने वर्ष 1809 जबरन बनाई गई मस्जिद पर कब्जा कर लिया।औऱ उसके सम्पूर्ण भू भाग पर अधिकार जमा लिया। जिसके कुछ दिन बाद यानी 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने ‘वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल’ को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर यानी वर्तमान का ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया।यह पत्र आज भी सुरक्षित है।

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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर Kashi Vishwanath Temple Banaras वँ मस्जिद विवाद दो तरीकों से खत्म हो सकता है

वर्तमान समय में काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद सिर्फ दो ही तरीके से सुलझया जा सकता है. सबसे पहला औऱ उत्तम है कि मुस्लिम पंथ के लोग अपनी इच्छा से इस स्थान इस भूमि को छोड़ दें और चाहे तो उसके बदले बनारस में ही कही औऱ जमीन ले उसपर पुनः मस्जिद निर्माण कार्य कर ले। जिसका सारा ख़र्च हिन्दू धर्म के लोग देंगे।

और दूसरी वँ आखरी रास्ता यह है कि अयोध्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ स्थल की तरह कोर्ट की निगरानी में यहाँ भी ASI पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वक्षण करवाया जाए। वँ उस आधार पर मिले सबूत वँ साक्ष्य को लेकर वर्ष 1991 में बनी पूजा स्थल कानून को रद्ध कर दिया जाए ।आपको यह बता दें कि इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 के बाद जो पूजा स्थान मंदिर मस्जिद चर्च जिस पंथ का है वँ जहा हैं वही रहेगा अयोध्या रामजन्म भूमि छोड़कर। पीवी नरसिंहा सरकार ने यह कानून बनाया था।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर Shri Kashi Vishwanath Temple Corridor

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर Shri Kashi Vishwanath Temple CorridorKashi Vishwanath Temple Corridor Photo

आखिर में आपको यह बता दें कि मौजूदा केंद्र सरकार वँ उतर प्रदेश सरकार के प्रयास से मौजूदा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वरूप बिल्कुल ही बदल गया है अब भगवान शिव के भक्त सीधे माँ गंगा में स्नान कर भगवान शिव के ख़ूबसुन्दर बने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में जा सकते हैं, अब पहले की तरह गली नहीं रही। इसलिए नया काशी देखने अब जब जाएंगे.

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तो आप को यकीन नहीं होगा कि आप काशी के गोदौलिया चौक या काशी के उस ख़ूबसुन्दर घाट पर हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर Kashi Vishwanath Temple Coridor के तहत काशी की घाट से लेकर मंदिर वँ उसकी भव्यता बिल्कुल बदल चुका है।अतः आप एक बार पुनः काशी बनारस की यात्रा जरूर करें।और भगवान शिव का दर्शन भी। हम भी तैयार है बाबा के दरबार में जाने के लिए बाबा विश्वनाथ जब बुला ले। 

औरंगजेब के काल में काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण की क्या आवश्यकता थी? 

औरंगजेब के काल में काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण की किसी एक कारण या आवश्यकता से नहीं की गई थी बल्कि इसके पीछे कई कारण स्पष्ट है- सबसे पहले हिन्दू शिव पुराण के अनुसार काशी विश्वनाथ यानी भगवान आदिदेव विशेश्वर का ज्योर्तिलिंग हैं और शिव पुराण के अनुसार ज्योर्तिलिंग को बिन जलाभिषेक पूजा अर्चना किये बगैर कुछ नहीं करने चाहिए।इससे हानि होती है भगवान शिव रुष्ट हो जाते है अतः किसी भी ज्योर्तिलिंग को सदैव पूजा अर्चना तथा जलाभिषेक किया जाता है. यदि कोई शिवलिंग किसी दैत्य आक्रांता द्वारा विखंडन भी कर दिया जाता हैं तो उसके स्थान पर अन्य शिवलिंग की विधिवत स्थापित कर पूजन किया जा सकता है।जो सबसे मुख्य कारण है-

तो वही दूसरी सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि आने वाले हिंदुओ के भावी पीढ़ियों को यह स्मरण दिलाया जा सके कि पूर्व काल यानी इतिहास में मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब कितना बड़ा क्रूर औऱ एक तुच्छ इंसान था। जिसने अपने ताकत और घमंड तथा घटिया किस्म के सोच के तहत हमारे आराध्य देव महादेव के मंदिर को तोड़ वहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया।

किस तिथि के बाद हमें काशी विश्वनाथ जाना चाहिय After which date should we visit Kashi Vishwanat

काशी विश्वनाथ सम्पूर्ण ब्राहमंड का ऐसा देवप्रिय धार्मिक स्थान है जहां पर जाने के लिए आपको किसी भी तिथि या नक्षत्र या माह की जरूरी नहीं है आप जब चाहे तब काशी विश्वनाथ मंदिर जा सकते है।

पूछा जाने वाला प्रश्न-

काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था

मालवा यानी वर्तमान इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777-80 में मस्जिद के बगल में ही मौजूदा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का मंदिर का निर्माण करवाया।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास अध्यक्ष कौन हैं

काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार राजा टोडरमल ने किया था।

काशी विश्वनाथ मंदिर में कितना सोना लगा है

काशी विश्वनाथ मंदिर में 1000 kg शुद्ध सोना लगा हुआ हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर खुलने का समय

प्रातः काल 5 बजे 

काशी विश्वनाथ मंदिर आरती का समय

सुबह 7बजे औऱ संध्या 7 बजे।

काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन समय

इस मंदिर में आप प्रातः काल 5बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं, इसके अलावा आप काशी विश्वनाथ मंदिर के लाइव दर्शन भी कर सकते है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण के बाद स्थानीय बाजारों पर क्या पड़ेगा असर ।After the development of Kashi Vishwanath temple What impact will there on local markets

काशी विश्वनाथ मंदिर के नए कॉरिडोर के निर्माण के बाद बनारस के स्थानीय बाजारों पर काफी ज्यादा असर पड़ेगा, काशी विश्वनाथ मंदिर के नए कॉरिडोर के निर्माण पर्यटन में बढ़वा होगा जिससे स्वाभविक तौर पर मार्केट में भी बढ़वा होगा और यहां के स्थानीय बाजार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह को स्थापित करेगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर रहस्य के पीछे कोई रहस्य नही हैं।

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Conclusion:- काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस से जुड़ी हुई इतिहास वँ उसके साथ जुड़ी हुई ज्ञानवापी मस्जिद की जानकारी आपको कैसा लगा, क्या यह History and Controversy of Kashi Vishwanath Temple Banaras and Gyanvapi Mosque का जानकारी आपके लिए पर्याप्त है. और अगर है तो आप हमें अपने विचार कमेंट कर बताएं। हम आपके हर एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार है।

शारदा पीठ मंदिर के बारे में

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