प्रकृति वर्णन से सम्बंधित कविता | प्रकृति दोहन| | प्रकृति से प्रेम कविता | NAUTRE ON POEM IN HINDI :

NAUTRE ON POEM IN HINDI: सारी दुनिया में मानव अपने निजी सुख के लिए हर रोज पेड़ पौधे जंगल नदी पहाड़ पर्वत प्रकृति का नष्ट कर रहे हैं या उनके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. और इन सभी के कारण मानव जाति के साथ पृथ्वी पर रहने वाले हर प्राणी को आजकल कोई न कोई संकट उत्पन्न हो रही हैं. हम उन्हीं जीव जंतुओं औऱ मानव जीवन को फिर से प्राकृतिक मय करने के लिए काव्य रचना लेकर आया हूँ. मैं अपने इन कविताओं प्रकृति दोहन औऱ प्राकृति प्रेम कविता कविताएं के माध्यम से एक जागरूकता पैदा करना चाहते हैं.तो जानें प्रकृति पर कविता :-

 प्रकृति दोहन प्रकृति से खिलवाड़ पर कविता- NAUTRE ON POEM IN HINDI

प्रकृति वर्णन से सम्बंधित कविता  | प्रकृति दोहन| | प्रकृति से प्रेम कविता | NAUTRE ON POEM IN HINDI :


|| प्रकृति दोहन||

ये जो सड़को पर गहरा सन्नाटा है,

ये प्रकृति का हम सब पर चाटा हैं

हे मानव देख जरा ये सब नजारे

नीली सफेद खुली आसमान बादल

जंगल जमीन, पहाड़ पर्वत सब

नाले नदिया या हो सब खेत खलिहान

प्रकृति दोहन जो तुम सब अत्यचार किये

पेड़ पौधे जंगल पर्वत पहाड़ सब काटे

वातावरण वायु को जो तुम दूषित किये

लेने की इच्छा रखकर देना न सीखा तू

अपनी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु

सबमिल मुझे जब पैरो तले रौंद दिया

पूरे जगत में जो प्रकृति को विष दिया

अब प्रकृति जब उसी भूल को तुम्हें

कर्ज सहित सब दे रहा वापस लौटा

तब देखो मानव जरा ये सब जग सारा

प्रातः सबेरे चिड़िया सब चाह चहाता

जागता शिशु नव वसन्त गुलाब देता

तितली फतिंगा वन वन उड़ती मतवाला

सुंदरता शीतलता की ये जग देखकर

जी करता मैं भी कुछ संगीत गुंनगनाऊ

मैं भी आज प्रकृति पूजन में दीप जलाऊ

उतरी कभी न भूपटल पर जो ये छवि तेरी

जग को उसका ये अनोखा रूप दिखाऊ

अभी वक्त है सम्भल जाओ हे मानव

करो न हमसे वैर,करो तुम प्रकृति से प्रेम।।

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 ||प्रकृति प्रेम हिंदी कविता || Nature love Hindi Poetry

प्रभु ने किया है देखो धरती का सृंगार

हमको दिया अमूल्य प्रकृति का उपहार

कहि हरियाली पेड़ कहि विशाल पहाड़

कहि रेत के आंचल पर है तारे हजार।

नदियां की है कल कल समंदर गहराता

कहि रेगिस्तान पर तपता सूरज आ जाता

बारिश की बूंदों से है मद मस्त नजारा

तपती धरती पर बाजे वर्षो की झंकार।।

आओ शपथ ले प्रकृति को हानि न पहुचाये

न नदियां को मैला करेंगे, न ही पेड़ कटवाएंगे

जल ही जीवन है हम जल को भी बचायेंगे

क्योंकि ये सब हैं प्रकृति का अमूल्य उपहार।।।

घर में मनुष्य रहा तो प्रकृति हुई आजाद

कुछ समय में ही आया प्रकृति पर निखार

सारी प्रकृति झुम झुम के करती हमको प्यार

हम भी अपना फर्ज निभाये करे प्रकृति से प्यार।

करें प्रकृति से प्यार||

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