Hindi Me Kavita on Aviral Prem Poem or Kavita on Pal Do Pal : अविरल प्रेम औऱ पल दो पल-

Hindi Me Kavita on Banaras Ghat:- बनारसी प्रेम पर हिंदी में कविता कविता – नमस्कार मित्रो,आज का यह हिंदी काव्य Love & Life तथा बनारस की घाट पर आधारित हैं. जहा दो प्रेमी युगल जोड़ी आपस की प्रेम प्रणयी रसभरी बातें को इन  कविताओं के माध्यम से आपके लिए प्रस्तुत किया हु। अविरल प्रेम और पल दो पल हिंदी कविताएं पूरा पढ़ने के बाद आपके मन को अति प्रसनता मिलेगी औऱ आप इन्हें शेयर भी करेंगे। तो आइये पढ़ते हैं Aviral Prem Poem or Pal Do Pal Hindi kavita:-

Hindi Me Kavita on Aviral Prem Poem or Kavita on Pal Do Pal : अविरल प्रेम औऱ पल दो पल-



अविरल प्रेम कविता Aviral Prem Hindi Kavita

ए बारिश काले कोल बादल के साथ आ

जहां नाचे मोर मगन हो भंवर

जले हैं जहां उपवन वहां कानन भी आ

जहां वरण हैं प्रकृति का मनुज संग

प्रेम प्रंनयी अवनी अम्बर हैं जहां

वहां प्यासे घाट अस्सी बनारस आ

बैठ वही बारिश की बूंदों को निहार

जहां तन में सिहरन हो,सांसो में गर्मी

भाव तुम्हारे हो,अन्तस हमारा

हृदय में बसता, पहली बारिश सा 

ऐसा  अदभुत हो प्रेम हमारा

जैसे रश्मि हिम पर्वत पर,

प्रेम बहे झरने सा तेरा

मन मोहता, कविता बनकर

बारिश का जब वक्त हो वहां

भींगे वदन ,टपकता बारिश की बूंद

तब वो वक्त सिर्फ हमारा हो

किसी से कोई वास्ता न हो वहां

जहां यूँ ही घाट अस्सी बनारस बैठ कर

तुम बारिश पर अपनी कोई कविता सुनाना

मैं अल्हड पागल सी सबकुछ भूल

घण्टो बस तुम्हे  निहारता

और कर जाता वही शाम

जहां हिचकोले खाती पावन गंगा

और यू ही प्रेम रंग में खो जाता

फिर हाथो से हल्की सी छुयण वहां

तेरी नयनो का हो शर्माना जहां

जैसे छूँ कर घाट के किनारों से 

अविरल जल का लौट जाना

हया का दामन थाम 

दाँतो में ओठो को दबाना 

प्रेम की इस पवित्र धारा में

रोम रोम पुलकित हो जाता

जहां मैं और तुम फिर एक हो जाता।।

Hindi Poem on Love & Lifeपल दो पल ; हिंदी में कविता::Hindi Poem on pal do pal

आओ पल दो पल

घड़ी दो घड़ी कुछ बात करते हैं।

मै यहां तुम वहां

बिन देखे बिन सुने कुछ

एक तन्हा मुलाक़ात करते हैं ।।

हम दोनो अपने इख्तियार

के इंतजार से हद से गुजर जाते हैं।

इस जीवन की चादर में

सांसों के जो ताने बाने हैं

उसे एक दूसरे में मिला लेते हैं

चाहा है हम तुम्हें

प्रेम के इन हद से गुजर जाते हैं।।

तुम मेरे औऱ मैं तेरे

आंखों के एकदूसरे के बादल बन जाते हैं।

फिर प्रेमरस की बारिश बन

एक दूसरे में सदैव घुल मिल जाते हैं

जागी है दिल में

जो शोरगुल सावन बन बरस जाते हैं।।

गुलाबो की आरजू इत्र सा

मौसम ए बहार की हद से गुजर जाते हैं।

क्यों सोचे आगे क्या होगा

रहें हम जहां भी रहे

बाग ए फूल बन महका करते है।।

बन के सबा

हम कली बन खिला करते हैं।

ख्वाहिश हो ऐसी हमारी

पल हर पल रास्ते के कांटो पे चादर बन जाते हैं।।

आओ पल दो पल

कुछ बात करते हैं

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